अरे,
तुम भी चल दिए,मुझे छोड़ के
अभी तो बाकि है मेरी चिता में अंगारे
फिर तुम कहाँ चल दिए
तुम तो जानते हो ना,मैं अँधेरे से डरती हूँ,
पर अब नही डरूंगी,तुम्हें तंग नही करूंगी
तुम जाओ प्रियतम
मैने अंधकार में भी
तुम्हारी आकृति अपनी चिता के धुंए से बना ली है
इसीलिए शांत लेटी हुई हूँ.
आज तुम्हारी गरमाई महसूस नही हो रही
शायद इसीलिए
चिता भी ठंडी लग रही है
पर क्या आज तुम्हें मेरा आगोश
मेरी गर्माई नही चाहिये
शायद इसीलिए तुम भी चल दिए.
सुनों,आप बार बार आँखे पोंछ रहे थे
मुझे अच्छा नही लगा
मैं अपना वचन नही निभा पाई
मैने आपको रुला दिया
मैने आपका साथ बीच में ही छोड़ दिया
हमने साथ में बहुत कम वक्त बिताया
वैसे तो हर जगह मैं ज़िद करके
आपको अपने साथ लेके जाती थी
पर यहाँ,
मुझे माफ़ करना मेरे प्रियतम
मैं यहाँ तुम्हें अपने साथ नही ले जा सकती
तुम्हारे ज़िद करने के वाबजूद,
क्योंकि,
घर पर हमारे प्यार की निशानियां
सुबक रही हैं,
अलविदा नही कहूंगी
क्योंकि
तुम्हारी धडकनों में
सिर्फ और सिर्फ मैं ही धडकती हूँ
और मैं मरना नही चाहती
इसलिए अलविदा नही कहूंगी,पति
कभी नही कहूंगी,
तुम्हारी सांसों में,धड़कन में
जीती रहूंगी,
जब तक तुम दुबारा से मेरी मांग भरने नहीं आओगे......
तुम भी चल दिए,मुझे छोड़ के
अभी तो बाकि है मेरी चिता में अंगारे
फिर तुम कहाँ चल दिए
तुम तो जानते हो ना,मैं अँधेरे से डरती हूँ,
पर अब नही डरूंगी,तुम्हें तंग नही करूंगी
तुम जाओ प्रियतम
मैने अंधकार में भी
तुम्हारी आकृति अपनी चिता के धुंए से बना ली है
इसीलिए शांत लेटी हुई हूँ.
आज तुम्हारी गरमाई महसूस नही हो रही
शायद इसीलिए
चिता भी ठंडी लग रही है
पर क्या आज तुम्हें मेरा आगोश
मेरी गर्माई नही चाहिये
शायद इसीलिए तुम भी चल दिए.
सुनों,आप बार बार आँखे पोंछ रहे थे
मुझे अच्छा नही लगा
मैं अपना वचन नही निभा पाई
मैने आपको रुला दिया
मैने आपका साथ बीच में ही छोड़ दिया
हमने साथ में बहुत कम वक्त बिताया
वैसे तो हर जगह मैं ज़िद करके
आपको अपने साथ लेके जाती थी
पर यहाँ,
मुझे माफ़ करना मेरे प्रियतम
मैं यहाँ तुम्हें अपने साथ नही ले जा सकती
तुम्हारे ज़िद करने के वाबजूद,
क्योंकि,
घर पर हमारे प्यार की निशानियां
सुबक रही हैं,
अलविदा नही कहूंगी
क्योंकि
तुम्हारी धडकनों में
सिर्फ और सिर्फ मैं ही धडकती हूँ
और मैं मरना नही चाहती
इसलिए अलविदा नही कहूंगी,पति
कभी नही कहूंगी,
तुम्हारी सांसों में,धड़कन में
जीती रहूंगी,
जब तक तुम दुबारा से मेरी मांग भरने नहीं आओगे......