About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Friday, April 24, 2015

माँ

पापा के जाने के बाद 
… माँ  कैसे एक ही रात में बूढ़ी ,
बहुत बूढी हो गई।एक-एक कर कई
तस्वीरें आखों के आगे बनती चली गईं।
  लेकिन सूखते हुए पौधे की तरह। पापा के रहते जो माँ कभी थकती नही थी,

वो आज साँस लेने में ही थक जाती है..
माँ को मैंने कभी उदास नहीं देखा था, वो मां पापा के
जाने के बाद खामोश हो चुकी हैं............. 

Saturday, March 7, 2015

.बोझ

कहीं  अब मैं  अपनी दीवारों  के लिए भी तो बोझ  नही नही हूँ
                आजकल कोई भरोसा नहीं
कब कौन किसके लिए बोझ बन जाये

.                 इसीलिए  मैंने अपनी सारी  तस्वीरें 
उठा कर कोने में रख दी हैं.  मिष्टी 7-3 15..बोझ