About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Tuesday, May 31, 2016

आस

ये जो थक -हार के लौटी हैं ,मेरी ख्वाहिशें हैं,,
.....................मैं तो आज भी ,उस मोड़ पर 
आस लगाये बैठी हूँ...मिष्टी...

Sunday, May 15, 2016

अजन्मी

सुनो,,
आज तुम बहुत खुश हो ना,क्योंकि तुम्हे पता चल गया है कि 
मैं तुम्हारी कोख में हूँ
बाबा को भी बता दिया न तुमने और दादी को भी 
बहुत खुश हो ना तुम..
लेकिन ये क्या?,अभी परसों ही तो Dr.आंटी के पास गए थे न
फिर?
मुझे आने में तो समय है ना माँ
फिर क्यों ये लोग तुम्हे लेके जा रहे हैं..
तुम आज इतनी उदास क्यों हो,,क्यों इतनी डरी सहमी ,
नम आँखे लिए मुझपर हाथ फेर रही हो?
........ओह्ह,शायद घर में पता चल गया,,कि तुम्हारी कोख में
मैं पल रही हूँ,इस घर का वारिस नही,,बेटा नही,एक बेटी
उफ्फ्फ्फ़ तेरी अजन्मी.................
तू रो मत माँ,मैं तुझसे खफा नही हूँ,
..समाज की कुरीतियों और तुम्हारी विवशता ने,,छीन लिया मुझसे मेरे पैदा होने का हक ,,
छीन लिए वो सपने,जो मैं तेरी गोद में देखती.10 Week Abortion (06)
मैं नही जन्मी तुम्हारे घर,,
लेकिन तुम्हारे मन के किसी कोने में
जन्मी है ये अजन्मी कन्या,,,,,
जिसकी किलकारी सिर्फ तुम्हे सुनाइ पड़ती है,,
जो खेलती है,माँ तेरे आंगन में
और जब गिर जाती हूँ मिटटी में लथपथ,,तुम भागकर मुझे उठा लेती हो ,,
और गोद में लेकर घंटो मुझे निहारती हो,
चूमती हो मेरे माथेको,मेरे गालों को
तबतक,
जबतक तुम्हे बाबा आकर नही ले आते तुम्हारे कल्पना लोक से बाहर,,
तुम्हारा यही प्यार बांधे है माँ मुझे तुमसे
लेकिन माँ,अब नही जन्मूँगी मैं,,
ना तुम्हारी कोख से,,
न ही किसी और कोख से,,
रहूंगी,,यूँ ही अजन्मी,,ना जाने कितने जन्मो तक..ना जाने कितने जन्मो तक......मिष्टी

Friday, April 29, 2016

वो फोन की घंटी

वो फोन की घंटी
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हेलो ,हाँ  कौन ?कौन बोल रहे हैं 
बोलो हांजी कौन ?
हेलो HELLOOOOOO 
------------  हेलो कैसी हो 
तुम 

          सुनकर वहीँ जम गई ,,जीभ तालु से चिपक गई
बड़ी मुश्किल से आवाज़ निकली .....
---------हाँ ,,हाँ अच्छी हूँ..
इतने सालों बाद ,,अब
                अब क्यों फोन कर रहा है मुझे.....
जिस राह पर  छोड़कर गया  था
                   वहां  से  तो मैं कब की
ढोके  ले आई  थी अपने उस जिस्म को
                 जिसमे सिवाय साँस  के कुछ ना बचा था 
वो आँखे  जो तुम्हारे पीछे पीछे सालों वहीँ पथरा  गई  थी
                अब तो वो भी वहां नहीं निहारती
 
मेरी खुशियां वो मेरी उसी राह पे तकती पथराई आंखें
                         मेरी ख्वाहिशें ,सभी का तो तर्पण कर दिया गया था..
फिर आज इतने सालों  बाद,क्यूं
           
Hello 
हैं,,,,  हाँ ,,,हाँ अच्छी हूँ
                 
गुड  Gooddd ,,अच्छी तो हो  ही,
हमेशा ऐसे ही  अच्छी बनी रहो 
                  धुम्म तड़ाक ,जैसे  किसी ने जोरदार तमाचा जड़ा होे
सुनकर  ऐसा लगा
नहीं एसी अच्छी   नहीीीि 

             ऐसे  बोलकर मुझे एक तरह से
तुमने श्रापित कर दिया
                नहीं  अब ऐसा जीवन और  नहीं::::::
मिष्टी .........