About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Monday, October 15, 2012

जानती थी मैं

जानती थी मैं,,
        मुझे कोई भी मेरे जैसा नही मिलेगा.
फिर भी विश्वास करने की बुरी आदत है 
                      तो कर लिया 
फिर वही धोखा ,,अविश्वास ----------------------वही सब दिखावा 
         क्या सच में कोई नही 
जो सिर्फ और सिर्फ मेरा हो 
        मुझे पता है,,एक दिन वो मिलेगा  
जरूर मिलेगा ,,
         उसी के इंतज़ार में तो
पलकें बिछाए बैठी हूँ,,,,,,,,,,,,,
                 वो जरूर मिलेगा
एक दिन........................................

Tuesday, October 9, 2012

वापिस

लो अजनबी ,
       सिमटा  लिया मैंने अपने आपको  
वापिस उसी तरह 
                   जैसे जी रही थी,तुमसे मिलने से पहले 
पर तुम्हे नही भूल पाऊँगी,
                     तुमने मुझे पर तो दिए उड़ने के लिए 
लेकिन जैसे ही मैं उडी 
                तुमने मुझे आकाश तक 
पहुँचने ही नही दिया 
                    और अपनी असलियत दिखा दी 
लो अजनबी,सिमट  गई मैं 
           वापिस  
अब कभी न उड़ने और अजनबियों  पर 
                 कभी विस्वास न करने के लिए 
सिमटा लिया मैंने अपने आपको .....................
                                                              dec.12.......

अजनबी

तुम कौन हो अजनबी,,
                   जो मेरी वीरान जिन्दगी में बाहर लेकर आये हो.
मैं तुम्हें जानती नही,,
                    पहचानती नही,,फिर भी तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ..
कौन हो तुम
         क्यों आये हो,,पतझड़ में फूल खिलाने
तुम भी चले जाओगे एक दिन,,
                     मुझे यूँ ही अकेला छोडकर 
तुम चले जाओ 
         इससे पहले कि 
मैं एक बार फिर से टूट कर बिखर जाऊँ
                  तुम चले जाओ अजनबी,,
मेरी जिन्दगी से चले जाओ,,
क्योंकि शायद एक बार का और टूटना 
मैं बर्दास्त ना कर पाऊ.........................

Saturday, October 6, 2012

उर्मिला

तुमने तो जाते हुए आराम से कह दिया                 \
                           कि रोना नही,,
मैंने भी भरी आँखों से तुम्हें वचन दे दिया,,,,,,,
               जुबां से बोलती तो रो  पड़ती
चुपके से सर हिला दिया मैंने ,,,,,,,,
             अब महसूस किया उर्मिला का दर्द 
जिसने विरह में 14 साल 
                 आँसू गिरने ना दिए
पर  मैं इन पलकों का क्या करूँ
             जो मेरे आंसुओं का बोझ उठा ही नही पा रही........
                                                         6-10-12........