About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Tuesday, April 29, 2014

कड़वा सच

आज फिर मन हो रहा  है
         मौत  को गले लगा लूँ 
चुपचाप ,गहन अँधेरे मे 
                     कोई नही है  मेरे साथ (पास)
भनक तक ना लगेगी किसी को 
                       मेरी तन्हा जिंदगी के पार जाने की 
बड़ी मुश्किल से अपने 
                जज़्बातों पर काबू पाये हूँ 
बार-२ मन हो रहा है 
                  उठूँ ,ओर सो जाऊं 
 मौत के आग़ोश में Photo
                  चैन,सुकून भरी
 क्यूं तुम लोग मुझे 
              सुकून भरी नींद नही सोने देते। ……क़्यु

वापसी

मेरा यूँ लौटकर आना 
                 मेरी जिंदगी की  सबसे बड़ी हार 
और दिखावटी रिश्तों कि 
                          सबसे बड़ी जीत थी 
             पर सच बताना 
क्या सच मे Photoवापसी
             लौट आई हूँ आपके पास ?
बोलो ना 
   एक सच 
            क्या सच मे 
आपकी बनकर लौट पाई मै ?................ 29 /4 /14 






 

तलाश

मुझे मेरी तलाश है 
          मुझे तेरी भी  तलाश है
तलाश है मुझे अपने ही  वज़ूद की 
                   क्या सचमुच मैने ऐसी ही  जिंदगी की तमन्ना की  थी 
नही ना 
  फिर क्यूँ  जी रही हूँ ये जिंदगी 
नही चाहिए ऐसी नारकीय जिंदगी तलाश
                          तलाश करुँगी मै अपने वज़ूद की 
जिसे मैंने 
    खुद खो दिया है 
तलाश है मुझे अपने ही  वज़ूद क़ी 
जीने के लिए। ………………………… 28 /4 /14

तन्हा

तन्हा सफर ……… एक और दिन…………
             क्या सच मे इसी को जीवनसाथी कहते हैं 
जो जनता है कि मै क्या   चाहती हूँ 
               फिर भी वो उसके उलट ही  काम करता है
क्या इसे ही  जीवनसाथी कहते हैं.
          मैं यहाँ रहूँ वो वहां रहे 
दोनों तनहा 
       अकेले चार दिवारी मे
तनहा रात  क एक ओर सफ़र………। 27 -4 -14 ………।

Saturday, April 26, 2014

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तेरी निगाहों  से जब  देखती हूँ अपने को
आईने में
आइना भी अक्स में  तुमको पा के
                   मुस्कुरा के कह उठता है, ओ ----------- आँखों वाली
कोई तुझ जैसे दूसरा ना हुआ Misty Goswami's photo.
          कोई तुझ जैसे दूसरा ना हुआ .............

दोस्त

सबके साथ रहकर भी  बहुत अकेली हूँ मै
   मुझे  सिर्फ़ और सिर्फ़
             एक सच्चे दोस्त की  ज़रूरत है
क्यूंकी सारे रिश्ते एक दोस्ती के  आगे दम तोड़ देते हैँ
                     है मेरे पास दोस्त
लेकिन फिर भी
         एक दोस्त चाहती हूँ
जो सिर्फ मेरा  हो ,सिर्फ़ मेरा ,सिर्फ मेरा ......................27/4/14...............
             

अकेलापन

बहुत अकेली पड  गई हूँ
                 कैसे जियुंगी  नही जानती
पर ये अकेलापन मुझे बहुत सालता  है
                       दोहरी जिंदगी अब और  जीने की इच्छा नहीं है
अब नहीं आँखों में आँसू ,और होंठों पऱ  मुस्कान लिये
                  दोहरी जिंदगी नही जीनी
कब तक ?आखिर कब तक एसे ही  जियूं
               कब तक संस्कारों की दुहाई देती रहूँ
कब तक झूठी जिंदगी जीती रहूँ https://encrypted-tbn1.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcTJRc5sf0cPEJIbQ1mxwq-bTA8HMyIQT1rFwYMyUZrVWMF3y4NfgAअकेलापन
                      थक गई हूँ मै अब,बहुत थक गई हूँ
अब नहीं ,बस और नही
             क्या मै कभी अपनी जिंदगी भी  जी पाऊंगी ?…………………26/4/14

Tuesday, April 15, 2014

घड़ी

कहाँ देखूं आपको
           नदी के बहाव में
जहाँ अष्थियाँ विसर्जित हुईं थीं वहां
                 या शमशान घाट पर
जहाँ अग्नि के सुपुर्द कर दिया था
        या उस पलंग पर
जहाँ आपने समय पूछ घडी देखी  थी
                   अपने जाने की घडी
वो बिछोह की घडी
               यादें अनगिनत लहरों की तरह
      सांसो में समां कर रह गईं
                      एक,सिर्फ एक के जाने से
     कितने रिश्ते अनाथ हो गए
कितने रिश्ते
अधूरे हो गए======पापा

छोड़ गए ना

छोड़  गए  ना आप भी मुझे
                आप तो मुझे कंठमाला  बोलते थे ना
मेरी आँखों के सामने
                बांध कर ले गए
और मैं देखती रही
              कभी -कभी नज़र आता
कि  जल गई होगी चिता
           और मैं
चुप बैठी हुई
         सिर्फ आंसुओं की लडियां पिरोती  रही
दूर से ही,चिता में फेंकती रही
            अपने आंसुओं की माला
अलग अजीब सा धुंआ
          उड़  आया मेरे पास
देखती रही सुने आकाश को
        घंटों,अश्रुपूर्ण नेत्रों से
आँखे पथरा गईं ,पक्षी मौन हो गए
और मैं
चुप खड़ी सोचती रही
                     क्या सचमुच
छोड़ गए
    आप अपनी लाड़ली को ............. मार्च 14
         

कैसे मिलूं

मैं सुन रही हूँ पापा
       बोलो ना
आवाज़ दो मुझे
       बोलो ना पापा
लाड़ली ,बिट्टो,और वो
     गीता रानी बड़ी सयानी
पीती  दूध बताती पानी Photo: DEAR PAPA,
HEAVENS GOT A NEW ANGEL ,
WE LOVE U ND MISS U A LOT ,
REST IN PEACE
               बोलो ना पापा
मेरी लाड़ली री, मेरी लाड़ली तू बनी है
तारों की तू रानी
             कैसी रानी पापा
आपके बिना
      बोलो  ना
                     सिर्फ एक बार बुलाओ ना पापा
अच्छा चलो मैं ही वो गाना गाती हूँ
                  जो हमेशा आपको चिट्ठी में लिख कर देती थी
   सात समुन्दर पार से गुड़ियों के बाजार से
           अच्छी सी गुड़िया लाना,गुड़िया चाहें मत लाना
पर पापा जल्दी आ जाना ,
              कैसे बुलाऊँ अब आपको पा
अब चिट्ठी कहाँ भेजूं
         जहाँ से मुझे आपका जवाब मिले

Tuesday, April 1, 2014

लाडली

अब कहाँ से वो हाथ पकडूँगी
                          किसको बोलूंगी मुझे ये चाहिए,वो चाहिए
ये दूल्हा कितना काला है
      उफ्फ्फ्फ़ ये तो चश्मे वाला है
                           आज मुझे लग रहा है  पापा
               आपकी लाड़ली बड़ी हो गई
  मुझे नही बड़ा होना
                                   मुझे आपकी गोद में ही बैठना है
                      ले गए आप मेरा बचपन
 जिससे आप सबसे ज्यादा खुश होते थे
                                     वही आप मुझसे ले गए
आपके जाने के बाद
 ना फिर मुस्कुराई बचपन की तरह ...
                                      मैंने गुडिया भी खरीदी , खिलोने भी ले के देखे
लेकिन पापा ,अब आपसे मिलने के लिए
            किसी की  इजाज़त नही लेनी पड़ेगी
ना ही इतनी दूर जाना होगा
                मुझे पता है अब आप मेरे क़रीब हो
बिलकुल करीब................... है ना पापा ................ 1/4 /14 ……………