About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Wednesday, August 20, 2014

ख़ामोशी

मुझे अच्छा लगा उस दिन,
                       जिस दिन मैं सच में अकेली रह गई थी
और तुमने जबरन मुझे गले से लगा लिया था,
               और मैं घंटों सिर्फ रोती  रही 
ना तुम कुछ बोले ,ना ही मैंने कुछ कहा Misty Goswami
                                 सिर्फ मेरी सिसकियाँ तुम्हे बयां करती रही मेरी दास्ताँ 
और हमेशा की तरह तुम 
                        सुनते रहे मेरी ख़ामोशियाँ ................ 2014 

एक तेरा अहसास

मैं जानती हूँ कि 
            तुम मेरे आस पास कहीं नही हो 
फिर भी तुमसे बातें करती हूँ;
        ये भी जानती  हूँ कि 
जब हम साथ होंगे 
               मैं तुमसे कुछ भी नही कह पाउंगी. 
ना ही तुमसे आँख मिला पाऊँगी,
                             लेकिन ये भी जानती हूँ की 
जितनी बातें तुमसे की है 
                उतनी तो किसी से भी नही कर पाई 
तुम मेरे अहसास में 
             मुझे कितना सुकून देते हो 
कितना साथ निभाते हो,
               ये तो तुम्हे भी नही पता ,,,,
पर मेरा ये अहसास कभी नही तोडना 
                              मैं जानती हूँ की 
तुम्हे नही पता कि 
              वो तुम्ही हो 
जिससे मैं घंटों बातें   करती रहती हूँ 
                   अपने  सारे  ख़ुशी और गम 
कहकर अपना मन हल्का कर लेती हूँ। . 
               लेकिन फिर भी तुम्हे खोने से डरती  हूँ 
तुम बदल तो ना जाओगे मेरे दोस्त …………… जुलाई 14 ……………… 

Saturday, June 21, 2014

घटाव


कभी सूर्य को ढलते हुए देखा है 
कैसे उसकी चमक फीकी होती जाती है 
ऐसे ही मैंने अपने को देखा है,मुरझाते हुए 
सिमटती जा रही हूँ ,अपने में ही 
अपने को पड़ती हूँ,रात्रि के आधे पहर में 
और घंटो रोती  हूँ ,सिर्फ अपने लिए.......... 
अपने को कतरा -कतरा  घटते सिर्फ देख रही हूँ 
कुछ नही कर पा रही
क्या कभी फिर से पहले की तरह 
उन्मुक्त गगन में उड़ पाऊँगी 
क्या मिलेगा मुझे कोई 
जो मुझे उड़ने के लिए पर देगा ............. 
शायद हाँ ,,,,,,तभी तो किसी का इंतज़ार रहता है 
         इन सूनी आँखों को......................... 21 -6 -14 …………

Sunday, June 1, 2014

बिखराव

कितना तोड़ोगे,कितना बिखेरोगे
                  और कितना मुझे तड़पाओगे
मेरी गलती सिर्फ इतनी ही है ना,
                    की मैंने तुम्हे चाहा
दिलों जां से चाहा
                    सबसे ज्यादा तुम्हे ही चाहा
तेरे एक छोटे से मज़ाक ने
                         मेरे १४ साल ----------------
शायद अब कभी ना जुड़ पाउँगी
               लेकिन मेरे बिखरने से क्या
तुम संभल पाओगे 31 -5 -14 ..........
        

Friday, May 30, 2014

यादें


तेरी यादों को किसी अलमारी में बंद  करके नही रखा  

बल्कि बहुत सम्भाल कर रखा है 
क्योंकि अलमारी में रखी चीजें बेतरतीब हो जाती हैं
तुम्हे कैसे देख पाऊँगी मैं  बेतरतीब 
ना ही तुम्हे मैने दिल में बंद करके रखा है 
क्यूंकि वहां तो तुम गुम ही हो जाओगे 
और मैं तुम्हे गुमाना नही चाहती 
क्यूंकि दिल में अगर खो गए तो Photo: तू कहे तो
रात बन जायु हसरतों कि।
तू कहे तो
ख्वाब बन जायु करवटों कि।

तू कहे तो
साँख से शबनम छुपाके लायुं
तू कहे तो
वक़्त से कुछ लम्हे चुराके लायुं।

तू कहे तो
तेरे आँखों पर कोई मासूम नींद ले आयु
तू कहे तो
पुरवाई के आँचल से थोड़ी ठंडाई ले आयु।

तू कहे तो
मैं तेरे पलकों पर ख्वाहिश बन जायु
तू कहे तो
मैं चाँदनी बनके तुझे नरमाहट दे जायु।

जज़्बा ए मोहब्बत

गर तू कहे तो
मैं बारिश बनके बस तेरे गम धुलाके जायु
गर तू कहे तो
मैं सागर के कोख से मोती चुन लायु।

तू कहे तो
तेरे हर सुबह के कच्ची धुप बन जायु
तू कहे तो
तेरे अरमायों के दिया बनके
सारी जिंदगी जलता जायु।

तू कहे तो
मैं सबकुछ कर जायु
ना कहना सिर्फ
ना गुजरना है तेरे चाहत के गलिओं से
ना कर पायूँगा मैं
सांसो से वादा है मेरा
कर दिया तो ये दुनिया छोड़ जायु।
हर लम्हा दिल तुम्हे ही ढूंढेगा 
और तुम  छटपटाते रहोगे 
मुझे परेशान देखकर 
तुम्हारी यादों को हमेशा अपने साथ ही रखती हूँ 
हँसता खिलखिलाता सा 
ताकि जब भी मैं दुखी होऊं 
तुम झट से अपनी याद का झोंका दो  
और मैं खिल जाऊं 
क्या कभी इन यादों से बाहर आकर मिलोगे मुझे 
क्या पहचान पाओगे मुझे?
पर मैं तुम्हारी यादों को कभी अपने से दूर नही करुँगी 
सिर्फ और सिर्फ करुँगी इंतज़ार तुम्हारा 
क्या पता कभी तुम आ ही जाओ 
यादें बनकर नही 
कुछ और --------------------31-5-14








Thursday, May 29, 2014

रिश्ता

कौन सा रिश्ता अपना होता है
       कौन सा रिश्ता सच्चा होता है
क्या कोई बता सकता है
     वो जहाँ आप अपना बचपन बिताते हैं
 जहाँ आपकी किलकारियों को सुन माँ
                   रीझ जाती है.
जहाँ आपकी सभी फरमाईश पूरी की जाती थी
         लेकिन जहाँ आप रिश्तो की पकड़ मजबूत करना चाहते हैं
तभी आपसे कहा जाता है,
         बेटी तो पराया धन होती है
जा बेटी अपने घर जा
       हम तुझे विदा करते हैं एक अजनबी के साथ
अनजान देश में ,अनजान लोगों के बीच
           और यहाँ से होती है रिश्तों की दूसरी दुनिया
जहाँ आपका नाम तक छीन लेते हैं
       और आप बन जाती हैं mrs........
जहाँ अाप अपना सर्वस्व देकर भी
         पराई हो
जहाँ सात फेरे के वचन के बाद
         कभी भी बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है
ऐसे में किस रिश्ते को सच माना जाये
          कहाँ जाय
दोनों तरफ से पराई
        किसका मुंह ताके
जिसने पालपोस कर विदा कर दिया
या जिसने जीवन भर साथ निभाने के वादे को
तोड़ दिया
दोनों ने ही रास्ता तो बाहर का ही दिखाया। ……………
             फिर कौन सा रिश्ता अपना है ?बोलो ना ................... २१  मई १४
         
              

       

मैं

धुंधला गई हूँ
                 टूट गई हूँ
बिखर गई हूँ Photo
                 कहीं खो गई हूँ 
क्या हो गई हूँ मैं
          सिर्फ एक तेरे  बदल जाने से ……… मई 14 …………

घुटन

किसी को नही पता ,कौन किसका कब तक साथ निभाएगा
                     जरुरी नही कि उम्रदराज या बीमार ही पहले जाये
क्या पता ,कोई अंदर ही अंदर घुट -२ कर मर रहा हो
    वो ही अलविदा कह जाये.
                                तो सभी को प्यार दो
क्या पता,किसी का कल हो ना हो   Photo
    और तुम हाथ मलते ही रह जाओ
                                कभी भी लफ़्ज़ों के भरोसे मत रहो
ख़ामोशी की जुबां भी समझो
.... 29 -5 -14

Wednesday, May 14, 2014

तन्हाई

मैं  तो हँस रही थी ना
           मैने तो तुमसे कुछ नही कहा
फिर  मुझे तन्हाई मे देख कर
               क्यों तुम रो पड़े
बोलो ना…………
             क्या आज भी तुम 
मुझे भूल नहीं पाए
           नही भूल पाये मेरी आदत
तन्हाई में  अपने दुख --------------
हाँ आज भी मैं 
       जब भी दुखी होती हूँ 
तन्हाई में  ही रहना पसन्द करती हूँ …………… 14 -5 -14

Tuesday, April 29, 2014

कड़वा सच

आज फिर मन हो रहा  है
         मौत  को गले लगा लूँ 
चुपचाप ,गहन अँधेरे मे 
                     कोई नही है  मेरे साथ (पास)
भनक तक ना लगेगी किसी को 
                       मेरी तन्हा जिंदगी के पार जाने की 
बड़ी मुश्किल से अपने 
                जज़्बातों पर काबू पाये हूँ 
बार-२ मन हो रहा है 
                  उठूँ ,ओर सो जाऊं 
 मौत के आग़ोश में Photo
                  चैन,सुकून भरी
 क्यूं तुम लोग मुझे 
              सुकून भरी नींद नही सोने देते। ……क़्यु

वापसी

मेरा यूँ लौटकर आना 
                 मेरी जिंदगी की  सबसे बड़ी हार 
और दिखावटी रिश्तों कि 
                          सबसे बड़ी जीत थी 
             पर सच बताना 
क्या सच मे Photoवापसी
             लौट आई हूँ आपके पास ?
बोलो ना 
   एक सच 
            क्या सच मे 
आपकी बनकर लौट पाई मै ?................ 29 /4 /14 






 

तलाश

मुझे मेरी तलाश है 
          मुझे तेरी भी  तलाश है
तलाश है मुझे अपने ही  वज़ूद की 
                   क्या सचमुच मैने ऐसी ही  जिंदगी की तमन्ना की  थी 
नही ना 
  फिर क्यूँ  जी रही हूँ ये जिंदगी 
नही चाहिए ऐसी नारकीय जिंदगी तलाश
                          तलाश करुँगी मै अपने वज़ूद की 
जिसे मैंने 
    खुद खो दिया है 
तलाश है मुझे अपने ही  वज़ूद क़ी 
जीने के लिए। ………………………… 28 /4 /14

तन्हा

तन्हा सफर ……… एक और दिन…………
             क्या सच मे इसी को जीवनसाथी कहते हैं 
जो जनता है कि मै क्या   चाहती हूँ 
               फिर भी वो उसके उलट ही  काम करता है
क्या इसे ही  जीवनसाथी कहते हैं.
          मैं यहाँ रहूँ वो वहां रहे 
दोनों तनहा 
       अकेले चार दिवारी मे
तनहा रात  क एक ओर सफ़र………। 27 -4 -14 ………।

Saturday, April 26, 2014

-----------------

तेरी निगाहों  से जब  देखती हूँ अपने को
आईने में
आइना भी अक्स में  तुमको पा के
                   मुस्कुरा के कह उठता है, ओ ----------- आँखों वाली
कोई तुझ जैसे दूसरा ना हुआ Misty Goswami's photo.
          कोई तुझ जैसे दूसरा ना हुआ .............

दोस्त

सबके साथ रहकर भी  बहुत अकेली हूँ मै
   मुझे  सिर्फ़ और सिर्फ़
             एक सच्चे दोस्त की  ज़रूरत है
क्यूंकी सारे रिश्ते एक दोस्ती के  आगे दम तोड़ देते हैँ
                     है मेरे पास दोस्त
लेकिन फिर भी
         एक दोस्त चाहती हूँ
जो सिर्फ मेरा  हो ,सिर्फ़ मेरा ,सिर्फ मेरा ......................27/4/14...............
             

अकेलापन

बहुत अकेली पड  गई हूँ
                 कैसे जियुंगी  नही जानती
पर ये अकेलापन मुझे बहुत सालता  है
                       दोहरी जिंदगी अब और  जीने की इच्छा नहीं है
अब नहीं आँखों में आँसू ,और होंठों पऱ  मुस्कान लिये
                  दोहरी जिंदगी नही जीनी
कब तक ?आखिर कब तक एसे ही  जियूं
               कब तक संस्कारों की दुहाई देती रहूँ
कब तक झूठी जिंदगी जीती रहूँ https://encrypted-tbn1.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcTJRc5sf0cPEJIbQ1mxwq-bTA8HMyIQT1rFwYMyUZrVWMF3y4NfgAअकेलापन
                      थक गई हूँ मै अब,बहुत थक गई हूँ
अब नहीं ,बस और नही
             क्या मै कभी अपनी जिंदगी भी  जी पाऊंगी ?…………………26/4/14

Tuesday, April 15, 2014

घड़ी

कहाँ देखूं आपको
           नदी के बहाव में
जहाँ अष्थियाँ विसर्जित हुईं थीं वहां
                 या शमशान घाट पर
जहाँ अग्नि के सुपुर्द कर दिया था
        या उस पलंग पर
जहाँ आपने समय पूछ घडी देखी  थी
                   अपने जाने की घडी
वो बिछोह की घडी
               यादें अनगिनत लहरों की तरह
      सांसो में समां कर रह गईं
                      एक,सिर्फ एक के जाने से
     कितने रिश्ते अनाथ हो गए
कितने रिश्ते
अधूरे हो गए======पापा

छोड़ गए ना

छोड़  गए  ना आप भी मुझे
                आप तो मुझे कंठमाला  बोलते थे ना
मेरी आँखों के सामने
                बांध कर ले गए
और मैं देखती रही
              कभी -कभी नज़र आता
कि  जल गई होगी चिता
           और मैं
चुप बैठी हुई
         सिर्फ आंसुओं की लडियां पिरोती  रही
दूर से ही,चिता में फेंकती रही
            अपने आंसुओं की माला
अलग अजीब सा धुंआ
          उड़  आया मेरे पास
देखती रही सुने आकाश को
        घंटों,अश्रुपूर्ण नेत्रों से
आँखे पथरा गईं ,पक्षी मौन हो गए
और मैं
चुप खड़ी सोचती रही
                     क्या सचमुच
छोड़ गए
    आप अपनी लाड़ली को ............. मार्च 14
         

कैसे मिलूं

मैं सुन रही हूँ पापा
       बोलो ना
आवाज़ दो मुझे
       बोलो ना पापा
लाड़ली ,बिट्टो,और वो
     गीता रानी बड़ी सयानी
पीती  दूध बताती पानी Photo: DEAR PAPA,
HEAVENS GOT A NEW ANGEL ,
WE LOVE U ND MISS U A LOT ,
REST IN PEACE
               बोलो ना पापा
मेरी लाड़ली री, मेरी लाड़ली तू बनी है
तारों की तू रानी
             कैसी रानी पापा
आपके बिना
      बोलो  ना
                     सिर्फ एक बार बुलाओ ना पापा
अच्छा चलो मैं ही वो गाना गाती हूँ
                  जो हमेशा आपको चिट्ठी में लिख कर देती थी
   सात समुन्दर पार से गुड़ियों के बाजार से
           अच्छी सी गुड़िया लाना,गुड़िया चाहें मत लाना
पर पापा जल्दी आ जाना ,
              कैसे बुलाऊँ अब आपको पा
अब चिट्ठी कहाँ भेजूं
         जहाँ से मुझे आपका जवाब मिले

Tuesday, April 1, 2014

लाडली

अब कहाँ से वो हाथ पकडूँगी
                          किसको बोलूंगी मुझे ये चाहिए,वो चाहिए
ये दूल्हा कितना काला है
      उफ्फ्फ्फ़ ये तो चश्मे वाला है
                           आज मुझे लग रहा है  पापा
               आपकी लाड़ली बड़ी हो गई
  मुझे नही बड़ा होना
                                   मुझे आपकी गोद में ही बैठना है
                      ले गए आप मेरा बचपन
 जिससे आप सबसे ज्यादा खुश होते थे
                                     वही आप मुझसे ले गए
आपके जाने के बाद
 ना फिर मुस्कुराई बचपन की तरह ...
                                      मैंने गुडिया भी खरीदी , खिलोने भी ले के देखे
लेकिन पापा ,अब आपसे मिलने के लिए
            किसी की  इजाज़त नही लेनी पड़ेगी
ना ही इतनी दूर जाना होगा
                मुझे पता है अब आप मेरे क़रीब हो
बिलकुल करीब................... है ना पापा ................ 1/4 /14 ……………

Monday, March 24, 2014

मेरा जहाँ

मुझे तलाश है उस पल की ,
            जब मैं भी उन्मुक्त होकर
उड़ पाउंगी ,झूम कर नाचूंगी
              और तू सिर्फ और सिर्फ
मेरे लिए होगा Photo
                                           इस दुनिया से दूर ............. बहुत दूर
जो सिर्फ मेरा जहाँ होगा
                     क्या होगी मेरी तलाश कभी पूरी ?
                                                                24 -3 -14 …………

Sunday, March 23, 2014

बेहिसाब

मानती हूँ कि मेरा मैथ्स बहुत  अच्छा है   
                      लेकिन क्या सिर्फ़ मुझे हराने के लिए 
बेहिसाब दुःख दोगे 
                 ये तो कोई बात नहीं .............
                  

Saturday, March 22, 2014

ख्वाहिश

मेरी ख्वाहिशें इस क़दर बढ  चुकी हैं कि
                 अब तो साँस लेना भी दुश्वार हो गया है
हर साँस मुझसे राह  पूछती है
                       आने जाने के लिए,
मेरी ख्वाहिशे तोड़ तो ना दोगे
Photo                        क्योंकि मैं इन्ही ख्वाहिशों के चलते ज़िंदा हूँ
जहाँ ये खत्म
           वहीँ ये मिष्टी भी
अब सब सिर्फ और सिर्फ
                         तुम्हारे हाथ में है ............. मार्च 14


तलाश


हर समय एक कशमकश  घेरे रहती है 
                           मुझे अपनी तलाश तुम में क्यों रहती है 
तुम मुझमे इतने बसे हुए हो 
                       या मैं तुम में समां चुकी हूँ  
आज निकली हूँ खुद की  तलाश में  
Photo
                           क्या तुम मेरी तलाश 
ख़त्म करा सकते हो.
2014 मार्च……………
                             

समर्पण

बहुत थक गई हूँ अब 
              मेरे हमसफ़र 
अब मैं  खुद को तुम्हे सौंपकर   
             सोना चाहती हूँ Photo
वो नींद 
       जो हमेशा के लिए  हो 
तुम्हारी बाँहों में............. 22 -3 -14

Wednesday, March 19, 2014

देरी

मुझे मालूम है तुम लौटकर आओगे 
                    लेकिन ,अभी जब मुझे सिर्फ तुम्हारा इंतज़ार है 
अभी जब मै हर तरफ से मुख मोड़कर
                               सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी हूँ
तुम मेरे होकर भी मेरे नही,
         बंटे  हुए हो 
लेकिन शायद जब तुम सिर्फ मेरे होकर आओगे 
                                तब मैं तुम्हारी नही रहूंगी 
क्योंकि मैंने तुम्हारी तरफ से  
                                     अपने को समेटना शुरू कर दिया है 
बहुत रुला चुके,बहुत तोड़ चुके
                      अब मैंने अपना घेरा सिकोड़ लिया है 
अब और नही टूटना चाहती,नही रोना चाहती 
                    क्योंकि इससे ज्यादा अगर देरी हुई  
तो खुद से नज़र ना मिला पाऊँगी 
              मुझे मालूम है तुम आओगे,सिर्फ मेरे बनकर ....... मार्च 14 ……………
            

मज़ाक

जब भी तुम्हे भुलाने की  कोशिश की
                          तुम और याद आये……
और जब लगा ,हाँ भूलने लगी हूँ 
                          तुम किसी ना किसी रूप में सामने आ जाते हो 
एक छोटा सा मज़ाक 
        मुझे इतना भारी पड़ेगा,नही सोचा था 
क्यों उसकी बातें भुला नहीपाती
                 आज जबकि तुमने इसे एक रिश्ते का नाम दे दिया है 
मुझे मालूम है कि उस रिश्ते को बखूबी निभाउंगी 
             लेकिन क्या वो भूल पाऊँगी कभी ?



घर

ये ईंट गारे से बना मकान
                  जिसमे हम सब रहते हैं
क्या ये सच में
           मेरा घर है
हाँ,तो क्यू मेरे पांव
         इसमें ख़ुशी ख़ुशी नही बढ़ते ....... 17 -3 -2014

कच्चे धागे

कच्चे धागे के साथ बंधी डोर
                  जिंदगी भर सम्भालना
उफ्फ्फफ्फ्फ्फ़
       कभी किसी ने सोचा है
उस डोर की  मज़बूती  के लिए
              हम कितने कमजोर हो जाते हैं
वो कच्ची डोर ,टूट न जाये
उसके लिए
        हम खुद
पल पल टूटते जाते हैं,,
     या अल्लाह ……12 -३-2014 

सिर्फ़ एक पल

हर लम्हा मैंने सिर्फ इसी आस में गुजार दिया
        कि शायद किसी पल
हमारा इतने सालों का साथ
                 सिर्फ शरीर का मिलन ना  हो
हम साथ हों
      वो इंतज़ार
अभी भी बरक़रार है …
                      जब तुम हम ,,,,हम होंगे
जब तुम भी मुझसे खुलकर बात करोगे
    और मैं भी ,,वो हल्कापन महसूस करुँगी
जो शायद इन बीते सालों  में
          कहीं खो गया है। ................ 11 -3 -2014

Sunday, February 23, 2014

एक सच

ना हो उदास जान 
         मैं तुम्हारे साथ हूँ ,हमेशा 
हमेशा की  तरह ....हमेशा रहूँगा  
          क्या तुम सच में मेरे साथ हो ?
मेरे साथ थे?मेरे साथ रहोगे ?
         क्या इन सालों  में 
कोई एक भी लम्हा 
         ऐसा गया है 
जब हम -तुम 
       तुम और मैं  ना रहे हो 
क्या हम कभी भी 
         कोई एक भी पल 
सिर्फ एक दूसरे के होकर 
     जी पायें हैं 
शायद नही ,कभी नही ................feb 14.................

सोच

जिसके लिए सोचा करती थी 
            कि अगर उसे ना पाया 
तो मर जाउंगी 
      उसके बिना  क्या जिंदगी 
उसको पाया तो लगा 
        ये मेरा वहम था 
शायद उसको खो दूँ तो 
           जी पाऊं  अपनी ज़िन्दगी। 
……………………… 
                 मिट गए सरे वहम भी 
लो,हम तो तुम्हे खोकर भी 
           शायद खुश खुश जी रहे हैं। .... 
…………………
           मैं जिसके लिए सब सहती रही 
जिसके लिए मर मर के जीती रही 
      वो तो जी ही किसी और के लिए रहा  है 
मैं तो मन बहलाने का साधन मात्र हूँ। ………… 20/2/14..........

ktm

लो शामें तन्हाई
          चल दी मैं तुम्हे भी छोड़कर
एक तुम ही तो थीं
        मेरे खुश  रहने का ज़रिया
आज तुम्हे भी अलविदा कह चली
     अब क्यूँ ये जिन्दा लाश जिन्दा है
खुदा  जाने
     अलविदा ……
अलविदा मेरी शामे तन्हाईयों 
        अब मैं तुम्हे भी आज़ाद करती हूँ 14/2 /14.............

yaden

आज मेरी यहाँ की  आखिरी रात 
                     जहाँ ज़र्रे ज़र्रे में तुम्हे 
सिर्फ तुम्हे 
            महसूस किया था 
आज जा रही हूँ वहाँ से 
                 तुम्हारी यादों से दूर 
शायद भुला सकूँ तुम्हे 
          तुम्हारे पास अपनी 
यादों के साये छोड़कर 
            तुम्हे याद बना छोड़कर 14/2/14.............

????

कई बार लगता है
            बस,अब ज़िन्दगी में
कुछ नही है
       फिर तेरा वो प्यार जताना
मेरी विरान जिंदगी में
        बहार ले आता है शायद मेरी जिंदगी
तुमसे शुरू होकर 
        तुम्ही पर ख़त्म हो जाती है,
और कुछ है ही नही मेरी जिंदगी मे…………। 9 /1 /14........ 

Monday, February 10, 2014

मेरी सूरत

ये कौन है
       ये इतना धुंधला क्यूँ है
क्या ये मैं हूँ ,नही नही
        मैं क्यूँ धुन्धलाउंगी 
बोल मेरे हमसफ़र
     क्या सच में मेरे सामने आइना है
नही,आइना ही धुंधला होगा
      मैं। नही मैं नही
पर मैने अपने को कब ध्यान से देखा था आखिरी बार
         मुझे तो ये भी याद नही …………10/2/14....... 

Saturday, January 11, 2014

तुम्हे तो मैंने अपने को सौंप दिया था ना,
         बोला था ना,मांग लो 
मुझे। इस दुनिया से ,मेरे घरवालों से 
और ,और ? और मुझसे भी 
        लेकिन तुमने क्या किया
मुझसे मुझे माँगा नही , छीन लिया 
     मैं तो उसमे भी खुश थी 
फिर ,फिर क्यूँ छोड़ दिया मुझे 
  मुझीसे से चुरा कर 
       मैं नही अपने को अपना पा  रही 
क्यूंकि मैंने अपने को तुम्हे सौंप दिया था 
         और तुमने मुझे -----------------जनवरी ११ /१४ 

Wednesday, January 8, 2014

कशमकश

इक मैं  थी 
      मैं कौन ?मैं मिष्टी ---मिष्टी ?
नही लाड़ली ,कुछ और ……
        बहुत कुछ और 
जो भी थी,पर थी …
          थी थी थी 
मैं मिष्टी हूँ  
     मिष्टी -हाँ ,शायद नहीं 
कुछ -कुछ तो 
        क्या मैं हूँ ?
हूँ ----------हूं -------------हु---------- ह्------ ः 
        मैं ------------रहूंगी 
लेकिन क्या हूँ ने मुझे छोड़ा है ?
         जो मैं रहूंगी ?
थी ?हूँ ?------------
ये ही कश्मकश नही ख़त्म होती 
क्या मैं थी ?क्या मैं हूँ ? क्या मैं रहूंगी ???????
कशमकश जिंदगी की …………… 6/1/2014................