About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Monday, March 24, 2014

मेरा जहाँ

मुझे तलाश है उस पल की ,
            जब मैं भी उन्मुक्त होकर
उड़ पाउंगी ,झूम कर नाचूंगी
              और तू सिर्फ और सिर्फ
मेरे लिए होगा Photo
                                           इस दुनिया से दूर ............. बहुत दूर
जो सिर्फ मेरा जहाँ होगा
                     क्या होगी मेरी तलाश कभी पूरी ?
                                                                24 -3 -14 …………

Sunday, March 23, 2014

बेहिसाब

मानती हूँ कि मेरा मैथ्स बहुत  अच्छा है   
                      लेकिन क्या सिर्फ़ मुझे हराने के लिए 
बेहिसाब दुःख दोगे 
                 ये तो कोई बात नहीं .............
                  

Saturday, March 22, 2014

ख्वाहिश

मेरी ख्वाहिशें इस क़दर बढ  चुकी हैं कि
                 अब तो साँस लेना भी दुश्वार हो गया है
हर साँस मुझसे राह  पूछती है
                       आने जाने के लिए,
मेरी ख्वाहिशे तोड़ तो ना दोगे
Photo                        क्योंकि मैं इन्ही ख्वाहिशों के चलते ज़िंदा हूँ
जहाँ ये खत्म
           वहीँ ये मिष्टी भी
अब सब सिर्फ और सिर्फ
                         तुम्हारे हाथ में है ............. मार्च 14


तलाश


हर समय एक कशमकश  घेरे रहती है 
                           मुझे अपनी तलाश तुम में क्यों रहती है 
तुम मुझमे इतने बसे हुए हो 
                       या मैं तुम में समां चुकी हूँ  
आज निकली हूँ खुद की  तलाश में  
Photo
                           क्या तुम मेरी तलाश 
ख़त्म करा सकते हो.
2014 मार्च……………
                             

समर्पण

बहुत थक गई हूँ अब 
              मेरे हमसफ़र 
अब मैं  खुद को तुम्हे सौंपकर   
             सोना चाहती हूँ Photo
वो नींद 
       जो हमेशा के लिए  हो 
तुम्हारी बाँहों में............. 22 -3 -14

Wednesday, March 19, 2014

देरी

मुझे मालूम है तुम लौटकर आओगे 
                    लेकिन ,अभी जब मुझे सिर्फ तुम्हारा इंतज़ार है 
अभी जब मै हर तरफ से मुख मोड़कर
                               सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी हूँ
तुम मेरे होकर भी मेरे नही,
         बंटे  हुए हो 
लेकिन शायद जब तुम सिर्फ मेरे होकर आओगे 
                                तब मैं तुम्हारी नही रहूंगी 
क्योंकि मैंने तुम्हारी तरफ से  
                                     अपने को समेटना शुरू कर दिया है 
बहुत रुला चुके,बहुत तोड़ चुके
                      अब मैंने अपना घेरा सिकोड़ लिया है 
अब और नही टूटना चाहती,नही रोना चाहती 
                    क्योंकि इससे ज्यादा अगर देरी हुई  
तो खुद से नज़र ना मिला पाऊँगी 
              मुझे मालूम है तुम आओगे,सिर्फ मेरे बनकर ....... मार्च 14 ……………
            

मज़ाक

जब भी तुम्हे भुलाने की  कोशिश की
                          तुम और याद आये……
और जब लगा ,हाँ भूलने लगी हूँ 
                          तुम किसी ना किसी रूप में सामने आ जाते हो 
एक छोटा सा मज़ाक 
        मुझे इतना भारी पड़ेगा,नही सोचा था 
क्यों उसकी बातें भुला नहीपाती
                 आज जबकि तुमने इसे एक रिश्ते का नाम दे दिया है 
मुझे मालूम है कि उस रिश्ते को बखूबी निभाउंगी 
             लेकिन क्या वो भूल पाऊँगी कभी ?



घर

ये ईंट गारे से बना मकान
                  जिसमे हम सब रहते हैं
क्या ये सच में
           मेरा घर है
हाँ,तो क्यू मेरे पांव
         इसमें ख़ुशी ख़ुशी नही बढ़ते ....... 17 -3 -2014

कच्चे धागे

कच्चे धागे के साथ बंधी डोर
                  जिंदगी भर सम्भालना
उफ्फ्फफ्फ्फ्फ़
       कभी किसी ने सोचा है
उस डोर की  मज़बूती  के लिए
              हम कितने कमजोर हो जाते हैं
वो कच्ची डोर ,टूट न जाये
उसके लिए
        हम खुद
पल पल टूटते जाते हैं,,
     या अल्लाह ……12 -३-2014 

सिर्फ़ एक पल

हर लम्हा मैंने सिर्फ इसी आस में गुजार दिया
        कि शायद किसी पल
हमारा इतने सालों का साथ
                 सिर्फ शरीर का मिलन ना  हो
हम साथ हों
      वो इंतज़ार
अभी भी बरक़रार है …
                      जब तुम हम ,,,,हम होंगे
जब तुम भी मुझसे खुलकर बात करोगे
    और मैं भी ,,वो हल्कापन महसूस करुँगी
जो शायद इन बीते सालों  में
          कहीं खो गया है। ................ 11 -3 -2014