कब मैंने सोचा था माँ मैं
तुमसे दूर जाऊँगी ,
मैं तेरी छाया हूँ माँ मैं ,
तुझे छोड़ कहाँ जाऊँगी.
मैं तो तेरे पास रहूंगी
मिष्टी भले चली जाएगी,
जब भी तुम आवाज़ लगाओगी
मैं दौड़ी दौड़ी आउंगी
वही तेरी छोटी सी गुडिया बनकर
वही गीत दोहराऊँगी
(सात समन्दर पार से ,गुड़ियों के बाज़ार से )
शायद अब खेल खिलौने वाली गुडिया ना मांगू माँ
क्योंकि अब मेरे आंगन में भी गुड्डे गुडिया खेलते हैं माँ
लेकिन ,तुम्हारे आलू के परांठे हमें खयालों में ही सही ,
नजदीक तो रखेंगे ना माँ .
वो लाल चूड़ियां तुम्हें
मेरे पास पहुंचाएगी,"मेरी छवि दिखलाएंगी "
और फिर जैसे
चाँद के बिना रात ,सूर्य के बिना प्रकाश
कोई सोच नहीं सकता
उसी तरह मैं और तुम भी दूर नही हो सकते,माँ.
इन्द्रधनुष के रंगों को जानने के लिए
आकाश बनना जरूरी नहीं होता
उसी तरह मेरा तेरा प्यार
दूर पास का मोहताज नही ,माँ
मैं तो पापा की कंठमाला माँ
उन्हें छोड़ कहाँ जाऊँगी......
मैं तेरे पल्लू में लिपटी
तेरे संग तेरी छाया रूप में
वहीं पर सो जाऊँगी
मैं तुझे छोड़ कहाँ जाऊँगी माँ
मैं तुझे छोड़ कहाँ जाऊँगी माँ ....
तुमसे दूर जाऊँगी ,
मैं तेरी छाया हूँ माँ मैं ,
तुझे छोड़ कहाँ जाऊँगी.
मैं तो तेरे पास रहूंगी
मिष्टी भले चली जाएगी,
जब भी तुम आवाज़ लगाओगी
मैं दौड़ी दौड़ी आउंगी
वही तेरी छोटी सी गुडिया बनकर
वही गीत दोहराऊँगी
(सात समन्दर पार से ,गुड़ियों के बाज़ार से )
शायद अब खेल खिलौने वाली गुडिया ना मांगू माँ
क्योंकि अब मेरे आंगन में भी गुड्डे गुडिया खेलते हैं माँ
लेकिन ,तुम्हारे आलू के परांठे हमें खयालों में ही सही ,
नजदीक तो रखेंगे ना माँ .
वो लाल चूड़ियां तुम्हें
मेरे पास पहुंचाएगी,"मेरी छवि दिखलाएंगी "
और फिर जैसे
चाँद के बिना रात ,सूर्य के बिना प्रकाश
कोई सोच नहीं सकता
उसी तरह मैं और तुम भी दूर नही हो सकते,माँ.
इन्द्रधनुष के रंगों को जानने के लिए
आकाश बनना जरूरी नहीं होता
उसी तरह मेरा तेरा प्यार
दूर पास का मोहताज नही ,माँ
मैं तो पापा की कंठमाला माँ
उन्हें छोड़ कहाँ जाऊँगी......
मैं तेरे पल्लू में लिपटी
तेरे संग तेरी छाया रूप में
वहीं पर सो जाऊँगी
मैं तुझे छोड़ कहाँ जाऊँगी माँ
मैं तुझे छोड़ कहाँ जाऊँगी माँ ....
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