कौन हो तुम ,
जो अचानक मेरी जिन्दगी में चले आए हो ,
मैने बचपन से अभी तक तुम्हें नही देखा,,
नही जाना,
फिर कैसे ,किस रूप में ,
आ गए मेरे जीवन में ,
जिसे जाना नही,पहचाना नही,अचानक से
वो सबसे प्यारा हो गया !
अब कोई रिश्ता तुमसे बदकर नही रहा,,
तुमने तो मेरे अगले सात जन्मो पर
कब्जा कर लिया,,
कोन हो तुम,मेरे जिन्दगी के मालिक
या मेरी जिन्दगी!!!!!!!!!!!!!
क्यों एक मिलन के बाद
सब तरफ तुम ही तुम दीखते हो,,
सबके चेहरे में तुम्हारा ही चेहरा नज़र आता है
क्यों तुम्हारे एक स्पर्श के बाद
नही समझ पाती ,कि कब मैं तुम्हारे साथ नही हूँ,,
जिस आइने के सामने से हटती नही थी
उसी के सामने क्यों लजा जाती हूँ !!!!!!!!!!!
क्यों नही समझ पाती
कि ये तुम हो--------या मैं
कौन हो तुम ,जिसने मेरे स्वरूप का
यूँ हरन कर लिया है,,,,,,,,,,,कौन हो तुम
2 aug.12...........
No comments:
Post a Comment