About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Friday, November 30, 2012


अब न जुड पाऊँगी

फूल  की पत्तियों   की  तरह तोड़ दिया मुझको 
              खूब अच्छे से मसल कुचल दिया मुझको 
अब क्या चाहते हो 
                अब जब तोड़ने के  लिए कुछ न बचा 
तो मुझे जोड़ना चाहते हो         
             फिर से तोड़ने के लिए ?    
अरे टूटा  हुआ तो फूल  भी नही जुड़ता 
                          तो मैं तो एक जीती जागती ---------------
जिसे पल पल आपने तोडकर बिखेरा है 
                       अब क्यों उसे जोड़ने की कौशिश कर  रहे हैं 
क्योंकि इतना टूटने के बाद अब न मैं 
        जुड़ पाने की स्थिति में रह गई हूँ 
और ,,न आपके वश की बात !!!!!!!!!
              अगर कर सको तो सिर्फ इतना कर  दो 
मेरे टूटे हुए बिखरे टुकड़े समेट  दो 
                                    कर पाओगे नव
                                                       इतना //
30-11-12...............

गुमनाम

कितने सालों बाद 
         अब तुम मिले हो जो 
मेरी पुरानी सूरत मांगते हो 
       कहाँ से लाऊं 
जो अब पता नही गुमनामी 
         के किस अंधेरो में खो 
चुकी है 
        2012...............