मुझे पता ही नही चला
कि कब मेरे सपने
मेरी ख्वाहिशें
मेरे सारे सपने
मुझसे कोसो दूर चले गए,
रह गया तो सिर्फ
मेरे चेहरे पर मुखौटा
और अंदर क़सक भरी हंसी
जो बोल रही थी
कि अब तो दुनिया के सामने अपना असली
चेहरा दिखा
रो ले जी भर कर……………
१०/१२/१३…………।
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