मुझे अच्छा लगा उस दिन,
जिस दिन मैं सच में अकेली रह गई थी
और तुमने जबरन मुझे गले से लगा लिया था,
और मैं घंटों सिर्फ रोती रही
ना तुम कुछ बोले ,ना ही मैंने कुछ कहा
सिर्फ मेरी सिसकियाँ तुम्हे बयां करती रही मेरी दास्ताँ
और हमेशा की तरह तुम
सुनते रहे मेरी ख़ामोशियाँ ................ 2014
जिस दिन मैं सच में अकेली रह गई थी
और तुमने जबरन मुझे गले से लगा लिया था,
और मैं घंटों सिर्फ रोती रही
ना तुम कुछ बोले ,ना ही मैंने कुछ कहा
सिर्फ मेरी सिसकियाँ तुम्हे बयां करती रही मेरी दास्ताँ
और हमेशा की तरह तुम
सुनते रहे मेरी ख़ामोशियाँ ................ 2014