जिन्दगी ने बहुत खामोश कर दिया है मुझे,,
अब लहरें भी ख़ामोशी से गुजरती हैं मुझसे ,,
किताबी पन्ने सी जिन्दगी है मेरी,जब चाहे हवा उढा देती है
,लेकिन वो भी ख़ामोशी से
क्या ,,मैं भी इस युग की उर्मिला नही i खामोश हो गई हूँ ,तेरे जाने से .......... मिष्टी
क्या ,,मैं भी इस युग की उर्मिला नही i खामोश हो गई हूँ ,तेरे जाने से .......... मिष्टी
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