आज ओस कहीं नही थी,रात ठंड भी बहुत थी,
फिर भी ?
लेकिन मैं तो सुबह खाली पांव चला था घास पर ,,,
और मैंने नमी भी महसूस की थी पांवो में
और वो टपकती पत्ती ?
वो मेरे आंसू थे ,जो मैं चुप चुप बहाती हूँ तुम्हारे लिए,
क्या उस पत्ती की ओस चख कर बता पाओगे,
क्या वो सच में ओस ही है या--------मिष्टी .
फिर भी ?
लेकिन मैं तो सुबह खाली पांव चला था घास पर ,,,
और मैंने नमी भी महसूस की थी पांवो में
और वो टपकती पत्ती ?
वो मेरे आंसू थे ,जो मैं चुप चुप बहाती हूँ तुम्हारे लिए,
क्या उस पत्ती की ओस चख कर बता पाओगे,
क्या वो सच में ओस ही है या--------मिष्टी .
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