तुम्हे भूलने की सारी कौशिशें
नाकाम रही
तुमसे नफरत करने के बावजूद
तुम्हे नही भुला पाती,,
क्योंकि मैं तुम नही हो पाती।
नही भूल पाती की जब
पल-पल मर रही थी
तुमने उस समय वो पल
मेरी जिन्दगी के यादगार पल बना दिए थे।
जिन्हें मैं आज भी जीती हूँ,,
लेकिन मैं कोई देवता नही ,,
जो तुम्हारे धोखे को भूल जाऊ
क्योंकि तुमने मुझे पर तो दिए,लेकिन जैसे ही मैं उडी
तुमने शिकारी भेज दिया
मेरे पर कतर दिए गए,,
तुमसे दूर होकर भी तुमसे
दूरी तो नही रख पाती
क्योंकि पलभर का ही सही
वो सुख तो मुझे सिर्फ तुम्ही ने दिया था।।
लेकिन धोखा भी तुम्ही ने------
याद तो आज भी आते हो तुम,,
लेकिन जब भी याद आते हो,
एक आह के साथ।।।।
ReplyDeleteदिनांक 03/02/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
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फिर मुझे धोखा मिला, मैं क्या कहूँ........हलचल का रविवारीय विशेषांक .....रचनाकार--गिरीश पंकज जी
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ReplyDeleteप्यार जब धोखा बन जाये तो बहुत तकलीफ होती है..
ReplyDeleteबेहद भावपूर्ण रचना..