About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Tuesday, January 29, 2013

सपने

सपने आँखे ही क्यों देखती हैं 
               शायद इसलिए 
कि जब आपके सपनों का 
           टूटने का समय आए ..
तो वो 
      आंसू के रूप में गिरें 
और मिटटी में मिलजाए 
          जहाँ उनका 
नामोनिशान तक 
               बाकि ना रहे   ..................26...12.....12............

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