क्या नाम रखूं तुम्हारा
क्यों ?
बिना नाम नही पहचानोगी मुझे
हाँ क्यों नही,
क्यों नही पहचानूंगी
तुम तो ख्वाब हो मेरे
हकीकत थोड़े ही हो ,
जो रूप बदल -2 कर आओगे
मुझे तड़पाने को,
फिर तुम मुझे बिन नाम ही रहने दो ,,
नाम दोगी तो
हकीकत में पाने के लिए
आवाज़ लगाओगी ......................14 feb........13...............
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