About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Monday, March 4, 2013

कहाँ हो तुम

तुम कहाँ हो 
      तुम्हारे बगैर तो मेरा घर ही विरान हो गया है,,
मेरी खनकती हुई हंसी 
                   उदास हो गई है 
मेरी सूर्य सी चमकती सिंदूरी बिंदिया 
                भी फीकी पड़  गई है  
फ़ूल  पत्ते  ,चाँद  सूरज सब  
           सब मुरझा गए हैं ,मौन हो गए हैं 
एक अकेलापन छा  गया है मुझ में,
                तुझे देखने की 
झूठी उम्मीद बंधाती  हूँ 
                  तेरे मनाने की आदत 
तेरा मुझे अंदर ही अंदर चाहना 
              मेरे दिल के वीराने  में 
हलचल(हाहाकार) मचाए  है 
             तेरे बगैर अधूरा सा  महसूस कर रही हूँ खुद को 
अब आजा,और मुझे पूर्ण कर जा ................

        

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