तेरी यादों को किसी अलमारी में बंद करके नही रखा
बल्कि बहुत सम्भाल कर रखा है
क्योंकि अलमारी में रखी चीजें बेतरतीब हो जाती हैं
तुम्हे कैसे देख पाऊँगी मैं बेतरतीब
ना ही तुम्हे मैने दिल में बंद करके रखा है
क्यूंकि वहां तो तुम गुम ही हो जाओगे
और मैं तुम्हे गुमाना नही चाहती
क्यूंकि दिल में अगर खो गए तो
हर लम्हा दिल तुम्हे ही ढूंढेगा
और तुम छटपटाते रहोगे
मुझे परेशान देखकर
तुम्हारी यादों को हमेशा अपने साथ ही रखती हूँ
हँसता खिलखिलाता सा
ताकि जब भी मैं दुखी होऊं
तुम झट से अपनी याद का झोंका दो
और मैं खिल जाऊं
क्या कभी इन यादों से बाहर आकर मिलोगे मुझे
क्या पहचान पाओगे मुझे?
पर मैं तुम्हारी यादों को कभी अपने से दूर नही करुँगी
सिर्फ और सिर्फ करुँगी इंतज़ार तुम्हारा
क्या पता कभी तुम आ ही जाओ
यादें बनकर नही
कुछ और --------------------31-5-14