About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Thursday, May 29, 2014

रिश्ता

कौन सा रिश्ता अपना होता है
       कौन सा रिश्ता सच्चा होता है
क्या कोई बता सकता है
     वो जहाँ आप अपना बचपन बिताते हैं
 जहाँ आपकी किलकारियों को सुन माँ
                   रीझ जाती है.
जहाँ आपकी सभी फरमाईश पूरी की जाती थी
         लेकिन जहाँ आप रिश्तो की पकड़ मजबूत करना चाहते हैं
तभी आपसे कहा जाता है,
         बेटी तो पराया धन होती है
जा बेटी अपने घर जा
       हम तुझे विदा करते हैं एक अजनबी के साथ
अनजान देश में ,अनजान लोगों के बीच
           और यहाँ से होती है रिश्तों की दूसरी दुनिया
जहाँ आपका नाम तक छीन लेते हैं
       और आप बन जाती हैं mrs........
जहाँ अाप अपना सर्वस्व देकर भी
         पराई हो
जहाँ सात फेरे के वचन के बाद
         कभी भी बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है
ऐसे में किस रिश्ते को सच माना जाये
          कहाँ जाय
दोनों तरफ से पराई
        किसका मुंह ताके
जिसने पालपोस कर विदा कर दिया
या जिसने जीवन भर साथ निभाने के वादे को
तोड़ दिया
दोनों ने ही रास्ता तो बाहर का ही दिखाया। ……………
             फिर कौन सा रिश्ता अपना है ?बोलो ना ................... २१  मई १४
         
              

       

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