About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Saturday, June 21, 2014

घटाव


कभी सूर्य को ढलते हुए देखा है 
कैसे उसकी चमक फीकी होती जाती है 
ऐसे ही मैंने अपने को देखा है,मुरझाते हुए 
सिमटती जा रही हूँ ,अपने में ही 
अपने को पड़ती हूँ,रात्रि के आधे पहर में 
और घंटो रोती  हूँ ,सिर्फ अपने लिए.......... 
अपने को कतरा -कतरा  घटते सिर्फ देख रही हूँ 
कुछ नही कर पा रही
क्या कभी फिर से पहले की तरह 
उन्मुक्त गगन में उड़ पाऊँगी 
क्या मिलेगा मुझे कोई 
जो मुझे उड़ने के लिए पर देगा ............. 
शायद हाँ ,,,,,,तभी तो किसी का इंतज़ार रहता है 
         इन सूनी आँखों को......................... 21 -6 -14 …………

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