मेरे मकान का एक कमरा
जिसमे बड़ा गोल सोफा,पेंटिंग्स,किताबें
अलमारी,गुलदस्ते,बुत,और भी ना जाने क्या क्या
देख्नते ही कोई भव्य रूम सा लगता था,
आज भी कोई धूल झाड़कर देखे तो कहेगा जरुर,
एक दिन यह बहुत ही खूबसूरत रहा होगा
पर सालों की आर्थिक तंगी ने
कठिनाइयों से भरी जिंदगी ने
हमारे मन के साथ साथ
सारे सामान में भी धूल जमा दी.
परिवार का हर सदस्य
एक दूसरे से कटा कटा,खिंचा खिचा सा है.
घर की हवा तक खींची खिची सी है
उस हवा में भी गंध है
आपसी उब की,कडवाहट की
ऊब,घुटन,आक्रोश,तनाव,तंगहाली
दम घुटा देने वाली मनहूसियत
जो श्मशान में होती है
वही इस धूलधूसरित आलिशान रहे
इस मकान में फेली है
इसको घर नहीं कहा जा सकता
ये तो एक मकान ही है.....
जिसमे बड़ा गोल सोफा,पेंटिंग्स,किताबें
अलमारी,गुलदस्ते,बुत,और भी ना जाने क्या क्या
देख्नते ही कोई भव्य रूम सा लगता था,
आज भी कोई धूल झाड़कर देखे तो कहेगा जरुर,
एक दिन यह बहुत ही खूबसूरत रहा होगा
पर सालों की आर्थिक तंगी ने
कठिनाइयों से भरी जिंदगी ने
हमारे मन के साथ साथ
सारे सामान में भी धूल जमा दी.
परिवार का हर सदस्य
एक दूसरे से कटा कटा,खिंचा खिचा सा है.
घर की हवा तक खींची खिची सी है
उस हवा में भी गंध है
आपसी उब की,कडवाहट की
ऊब,घुटन,आक्रोश,तनाव,तंगहाली
दम घुटा देने वाली मनहूसियत
जो श्मशान में होती है
वही इस धूलधूसरित आलिशान रहे
इस मकान में फेली है
इसको घर नहीं कहा जा सकता
ये तो एक मकान ही है.....
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