About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Monday, November 21, 2011

मकान

मेरे मकान का एक कमरा
    जिसमे बड़ा गोल सोफा,पेंटिंग्स,किताबें
अलमारी,गुलदस्ते,बुत,और भी ना जाने क्या क्या
    देख्नते ही कोई भव्य रूम सा लगता था,
आज भी कोई धूल झाड़कर देखे तो कहेगा जरुर,
एक दिन यह बहुत ही खूबसूरत रहा होगा
     पर सालों की आर्थिक तंगी ने
कठिनाइयों से भरी जिंदगी ने
हमारे मन के साथ साथ
सारे सामान में भी धूल जमा दी.
      परिवार का हर सदस्य
एक दूसरे से कटा कटा,खिंचा खिचा सा है.
 घर की हवा तक खींची खिची सी है
      उस हवा में भी गंध है
आपसी उब की,कडवाहट की
   ऊब,घुटन,आक्रोश,तनाव,तंगहाली
दम घुटा देने वाली मनहूसियत
   जो श्मशान में होती है
वही इस धूलधूसरित आलिशान रहे
     इस मकान में फेली है
इसको घर नहीं कहा जा सकता
ये तो एक मकान ही है.....

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