तुम कौन हो अजनबी,,
जो मेरी वीरान जिन्दगी में बाहर लेकर आये हो.
मैं तुम्हें जानती नही,,
पहचानती नही,,फिर भी तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ..
कौन हो तुम
क्यों आये हो,,पतझड़ में फूल खिलाने
तुम भी चले जाओगे एक दिन,,
मुझे यूँ ही अकेला छोडकर
तुम चले जाओ
इससे पहले कि
मैं एक बार फिर से टूट कर बिखर जाऊँ
तुम चले जाओ अजनबी,,
मेरी जिन्दगी से चले जाओ,,
क्योंकि शायद एक बार का और टूटना
मैं बर्दास्त ना कर पाऊ.........................
जो मेरी वीरान जिन्दगी में बाहर लेकर आये हो.
मैं तुम्हें जानती नही,,
पहचानती नही,,फिर भी तुम्हारा इंतज़ार करती हूँ..
कौन हो तुम
क्यों आये हो,,पतझड़ में फूल खिलाने
तुम भी चले जाओगे एक दिन,,
मुझे यूँ ही अकेला छोडकर
तुम चले जाओ
इससे पहले कि
मैं एक बार फिर से टूट कर बिखर जाऊँ
तुम चले जाओ अजनबी,,
मेरी जिन्दगी से चले जाओ,,
क्योंकि शायद एक बार का और टूटना
मैं बर्दास्त ना कर पाऊ.........................
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