About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Wednesday, March 19, 2014

कच्चे धागे

कच्चे धागे के साथ बंधी डोर
                  जिंदगी भर सम्भालना
उफ्फ्फफ्फ्फ्फ़
       कभी किसी ने सोचा है
उस डोर की  मज़बूती  के लिए
              हम कितने कमजोर हो जाते हैं
वो कच्ची डोर ,टूट न जाये
उसके लिए
        हम खुद
पल पल टूटते जाते हैं,,
     या अल्लाह ……12 -३-2014 

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