हर लम्हा मैंने सिर्फ इसी आस में गुजार दिया
कि शायद किसी पल
हमारा इतने सालों का साथ
सिर्फ शरीर का मिलन ना हो
हम साथ हों
वो इंतज़ार
अभी भी बरक़रार है …
जब तुम हम ,,,,हम होंगे
जब तुम भी मुझसे खुलकर बात करोगे
और मैं भी ,,वो हल्कापन महसूस करुँगी
जो शायद इन बीते सालों में
कहीं खो गया है। ................ 11 -3 -2014
कि शायद किसी पल
हमारा इतने सालों का साथ
सिर्फ शरीर का मिलन ना हो
हम साथ हों
वो इंतज़ार
अभी भी बरक़रार है …
जब तुम हम ,,,,हम होंगे
जब तुम भी मुझसे खुलकर बात करोगे
और मैं भी ,,वो हल्कापन महसूस करुँगी
जो शायद इन बीते सालों में
कहीं खो गया है। ................ 11 -3 -2014
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