तुम क्या देख रही हो
मेरी सूनी आँखों में चमक
मेरे उतरे हुए चेहरे पे बनावटी मुस्कान
मेरी आँखों की झूठी चमक
तेरे सामने मेरा हाल बयां कर रही है
मेरे ना चाहते हुए भी
मेरी खुश्क आँखे
सब कुछ बयां कर गईं
क्योंकि तू मुझे इतना चाहती है
कि मेरी खुश्क आँखों की नमी
तेरी आँखों में दिख रही है
फिर क्यों मुझे छोड़ कर जा रही हो
तू ना जा मेरे ........
तू ना जा
पता नही अब बिछुड़ने के बाद
फिर तू मुझसे मिल भी पाए या .......
मेरी सूनी आँखों में चमक
मेरे उतरे हुए चेहरे पे बनावटी मुस्कान
मेरी आँखों की झूठी चमक
तेरे सामने मेरा हाल बयां कर रही है
मेरे ना चाहते हुए भी
मेरी खुश्क आँखे
सब कुछ बयां कर गईं
क्योंकि तू मुझे इतना चाहती है
कि मेरी खुश्क आँखों की नमी
तेरी आँखों में दिख रही है
फिर क्यों मुझे छोड़ कर जा रही हो
तू ना जा मेरे ........
तू ना जा
पता नही अब बिछुड़ने के बाद
फिर तू मुझसे मिल भी पाए या .......
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