About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Sunday, February 23, 2014

एक सच

ना हो उदास जान 
         मैं तुम्हारे साथ हूँ ,हमेशा 
हमेशा की  तरह ....हमेशा रहूँगा  
          क्या तुम सच में मेरे साथ हो ?
मेरे साथ थे?मेरे साथ रहोगे ?
         क्या इन सालों  में 
कोई एक भी लम्हा 
         ऐसा गया है 
जब हम -तुम 
       तुम और मैं  ना रहे हो 
क्या हम कभी भी 
         कोई एक भी पल 
सिर्फ एक दूसरे के होकर 
     जी पायें हैं 
शायद नही ,कभी नही ................feb 14.................

सोच

जिसके लिए सोचा करती थी 
            कि अगर उसे ना पाया 
तो मर जाउंगी 
      उसके बिना  क्या जिंदगी 
उसको पाया तो लगा 
        ये मेरा वहम था 
शायद उसको खो दूँ तो 
           जी पाऊं  अपनी ज़िन्दगी। 
……………………… 
                 मिट गए सरे वहम भी 
लो,हम तो तुम्हे खोकर भी 
           शायद खुश खुश जी रहे हैं। .... 
…………………
           मैं जिसके लिए सब सहती रही 
जिसके लिए मर मर के जीती रही 
      वो तो जी ही किसी और के लिए रहा  है 
मैं तो मन बहलाने का साधन मात्र हूँ। ………… 20/2/14..........

ktm

लो शामें तन्हाई
          चल दी मैं तुम्हे भी छोड़कर
एक तुम ही तो थीं
        मेरे खुश  रहने का ज़रिया
आज तुम्हे भी अलविदा कह चली
     अब क्यूँ ये जिन्दा लाश जिन्दा है
खुदा  जाने
     अलविदा ……
अलविदा मेरी शामे तन्हाईयों 
        अब मैं तुम्हे भी आज़ाद करती हूँ 14/2 /14.............

yaden

आज मेरी यहाँ की  आखिरी रात 
                     जहाँ ज़र्रे ज़र्रे में तुम्हे 
सिर्फ तुम्हे 
            महसूस किया था 
आज जा रही हूँ वहाँ से 
                 तुम्हारी यादों से दूर 
शायद भुला सकूँ तुम्हे 
          तुम्हारे पास अपनी 
यादों के साये छोड़कर 
            तुम्हे याद बना छोड़कर 14/2/14.............

????

कई बार लगता है
            बस,अब ज़िन्दगी में
कुछ नही है
       फिर तेरा वो प्यार जताना
मेरी विरान जिंदगी में
        बहार ले आता है शायद मेरी जिंदगी
तुमसे शुरू होकर 
        तुम्ही पर ख़त्म हो जाती है,
और कुछ है ही नही मेरी जिंदगी मे…………। 9 /1 /14........ 

Monday, February 10, 2014

मेरी सूरत

ये कौन है
       ये इतना धुंधला क्यूँ है
क्या ये मैं हूँ ,नही नही
        मैं क्यूँ धुन्धलाउंगी 
बोल मेरे हमसफ़र
     क्या सच में मेरे सामने आइना है
नही,आइना ही धुंधला होगा
      मैं। नही मैं नही
पर मैने अपने को कब ध्यान से देखा था आखिरी बार
         मुझे तो ये भी याद नही …………10/2/14.......