लो शामें तन्हाई
चल दी मैं तुम्हे भी छोड़कर
एक तुम ही तो थीं
मेरे खुश रहने का ज़रिया
आज तुम्हे भी अलविदा कह चली
अब क्यूँ ये जिन्दा लाश जिन्दा है
खुदा जाने
अलविदा ……
अलविदा मेरी शामे तन्हाईयों
अब मैं तुम्हे भी आज़ाद करती हूँ 14/2 /14.............
चल दी मैं तुम्हे भी छोड़कर
एक तुम ही तो थीं
मेरे खुश रहने का ज़रिया
आज तुम्हे भी अलविदा कह चली
अब क्यूँ ये जिन्दा लाश जिन्दा है
खुदा जाने
अलविदा ……
अलविदा मेरी शामे तन्हाईयों
अब मैं तुम्हे भी आज़ाद करती हूँ 14/2 /14.............
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