About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Friday, February 24, 2012

ईद का चाँद या बकरा

मेरे घर  के सामने 
एक मुस्लिम परिवार  रहता है  
   वो मुस्लिम और मैं हिंदू 
बिलकुल एक दूसरे से जुदा 
   मुझे बोला जाता है कि  उनसे बात  ना करूं 
क्योंकि वो  और हम समान विचारों के नही हैं
लेकिन मुझे समानता दिखती है
उनके यहाँ   का बकरा 
  और अपने घर पर मैं
वो रस्सी से बंधा  रहता है
     मैं रुनझुन करती पाजेब से 
सारे समय बच्चे उससे खेलते रहते हैं
         मैं परिवार के बच्चे खिलाती हूँ 
उसे ईद के लिये लाया गया है
      मुझे दुनियादारी के लिये 
उसको मोटा ताज़ा करने को 
बढिया घास खिलाते हैं
मुझे दिखावे के लिये 
   सज धज कर रहना पड़ता है
वरना मायका और ससुराल 
दोनों ही रूठ जायेंगे,
बस एक ही अंतर हैं
    उसका ईद का एक दिन तय है
लेकिन मुझे उसमे भी समानता दिखती है
        उसको अपने हलाल होने का 
एक दिन मालूम नही है
   मैं रोज हलाल होती हूँ 
पर मुझे झटके का
    दिन मालूम नही है ....





No comments:

Post a Comment