About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Thursday, February 2, 2012

तुम हो क्या

क्यों किसी आह्ट के बिना ही
     चौंक जाती हूँ
ना किसी ने दस्तक दी
     ना कानों ने ही कोई आवाज़ सुनी 
ना ही मेरे दिल ने पुकारा है
         फिर भी क्यों 
क्यों मेरे पैर दरवाजे की
           तरफ दौड़ पड़े हैं
क्यों कोइ जबरन मुझे 
           दरवाजा खोलने पर मजबूर कर रहा है
अकेली ही तो हूँ इतने बरसों से 
    फिर ये किसकी महक मेरी सांसों में 
बसे जा रही है
कौन है जो कह रहा है,
         चल अब बंद दरवाजे खोल दे
मेरे दरवाजों में तो जंग लग चुकी है
                  हिम्मत नही हो रही 
कोई जबरन खुला रहा है
पर ,पर ये क्या 
     सामने कौन है
ये तुम हो क्या 
           सफेद फूल मोगरे के लिये
तुम सच में आए हो 
           या मेरी आँखों में बसी वही 
तस्वीर है,
       जो बीते वक्त के साथ 
धुंधलाई भी नहीं,
        अभी भी वैसी की वैसी ही है

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