आज फिर मन हो रहा है
मौत को गले लगा लूँ
चुपचाप ,गहन अँधेरे मे
कोई नही है मेरे साथ (पास)
भनक तक ना लगेगी किसी को
मेरी तन्हा जिंदगी के पार जाने की
बड़ी मुश्किल से अपने
जज़्बातों पर काबू पाये हूँ
बार-२ मन हो रहा है
उठूँ ,ओर सो जाऊं
मौत के आग़ोश में
चैन,सुकून भरी
क्यूं तुम लोग मुझे
सुकून भरी नींद नही सोने देते। ……क़्यु
मौत को गले लगा लूँ
चुपचाप ,गहन अँधेरे मे
कोई नही है मेरे साथ (पास)
भनक तक ना लगेगी किसी को
मेरी तन्हा जिंदगी के पार जाने की
बड़ी मुश्किल से अपने
जज़्बातों पर काबू पाये हूँ
बार-२ मन हो रहा है
उठूँ ,ओर सो जाऊं
मौत के आग़ोश में
चैन,सुकून भरी
क्यूं तुम लोग मुझे
सुकून भरी नींद नही सोने देते। ……क़्यु
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