About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Tuesday, April 1, 2014

लाडली

अब कहाँ से वो हाथ पकडूँगी
                          किसको बोलूंगी मुझे ये चाहिए,वो चाहिए
ये दूल्हा कितना काला है
      उफ्फ्फ्फ़ ये तो चश्मे वाला है
                           आज मुझे लग रहा है  पापा
               आपकी लाड़ली बड़ी हो गई
  मुझे नही बड़ा होना
                                   मुझे आपकी गोद में ही बैठना है
                      ले गए आप मेरा बचपन
 जिससे आप सबसे ज्यादा खुश होते थे
                                     वही आप मुझसे ले गए
आपके जाने के बाद
 ना फिर मुस्कुराई बचपन की तरह ...
                                      मैंने गुडिया भी खरीदी , खिलोने भी ले के देखे
लेकिन पापा ,अब आपसे मिलने के लिए
            किसी की  इजाज़त नही लेनी पड़ेगी
ना ही इतनी दूर जाना होगा
                मुझे पता है अब आप मेरे क़रीब हो
बिलकुल करीब................... है ना पापा ................ 1/4 /14 ……………

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