तन्हा सफर ……… एक और दिन…………
क्या सच मे इसी को जीवनसाथी कहते हैं
जो जनता है कि मै क्या चाहती हूँ
फिर भी वो उसके उलट ही काम करता है
क्या इसे ही जीवनसाथी कहते हैं.
मैं यहाँ रहूँ वो वहां रहे
दोनों तनहा
अकेले चार दिवारी मे
तनहा रात क एक ओर सफ़र………। 27 -4 -14 ………।
क्या सच मे इसी को जीवनसाथी कहते हैं
जो जनता है कि मै क्या चाहती हूँ
फिर भी वो उसके उलट ही काम करता है
क्या इसे ही जीवनसाथी कहते हैं.
मैं यहाँ रहूँ वो वहां रहे
दोनों तनहा
अकेले चार दिवारी मे
तनहा रात क एक ओर सफ़र………। 27 -4 -14 ………।
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