About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Saturday, April 26, 2014

अकेलापन

बहुत अकेली पड  गई हूँ
                 कैसे जियुंगी  नही जानती
पर ये अकेलापन मुझे बहुत सालता  है
                       दोहरी जिंदगी अब और  जीने की इच्छा नहीं है
अब नहीं आँखों में आँसू ,और होंठों पऱ  मुस्कान लिये
                  दोहरी जिंदगी नही जीनी
कब तक ?आखिर कब तक एसे ही  जियूं
               कब तक संस्कारों की दुहाई देती रहूँ
कब तक झूठी जिंदगी जीती रहूँ https://encrypted-tbn1.gstatic.com/images?q=tbn:ANd9GcTJRc5sf0cPEJIbQ1mxwq-bTA8HMyIQT1rFwYMyUZrVWMF3y4NfgAअकेलापन
                      थक गई हूँ मै अब,बहुत थक गई हूँ
अब नहीं ,बस और नही
             क्या मै कभी अपनी जिंदगी भी  जी पाऊंगी ?…………………26/4/14

No comments:

Post a Comment