बहुत अकेली पड गई हूँ
कैसे जियुंगी नही जानती
पर ये अकेलापन मुझे बहुत सालता है
दोहरी जिंदगी अब और जीने की इच्छा नहीं है
अब नहीं आँखों में आँसू ,और होंठों पऱ मुस्कान लिये
दोहरी जिंदगी नही जीनी
कब तक ?आखिर कब तक एसे ही जियूं
कब तक संस्कारों की दुहाई देती रहूँ
कब तक झूठी जिंदगी जीती रहूँ अकेलापन
थक गई हूँ मै अब,बहुत थक गई हूँ
अब नहीं ,बस और नही
क्या मै कभी अपनी जिंदगी भी जी पाऊंगी ?…………………26/4/14
कैसे जियुंगी नही जानती
पर ये अकेलापन मुझे बहुत सालता है
दोहरी जिंदगी अब और जीने की इच्छा नहीं है
अब नहीं आँखों में आँसू ,और होंठों पऱ मुस्कान लिये
दोहरी जिंदगी नही जीनी
कब तक ?आखिर कब तक एसे ही जियूं
कब तक संस्कारों की दुहाई देती रहूँ
कब तक झूठी जिंदगी जीती रहूँ अकेलापन
थक गई हूँ मै अब,बहुत थक गई हूँ
अब नहीं ,बस और नही
क्या मै कभी अपनी जिंदगी भी जी पाऊंगी ?…………………26/4/14
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