सूर्य की रौशनी
हर तरफ उजाला करती है
फिर मेरे दिल के भीतर ही
क्यों अँधियारा छाया है ,,,,,,,
क्या मेरे लिये भी सूर्य कभी
अपने अंदर छुपा के लाएगा सवेरा;
सवेरा !
जो मेरे अंदर से
अंधियारे को भगा देगा ,,,,
वो सवेरा जो सिर्फ मेरे लिये होगा
एक नया सवेरा ,,मेरा सवेरा
जो आएगा तो सिर्फ
मेरे अधरों पे मुस्कान बिखेरने के लिए
जो होगी मेरी मुस्काती सुबह.......................
हर तरफ उजाला करती है
फिर मेरे दिल के भीतर ही
क्यों अँधियारा छाया है ,,,,,,,
क्या मेरे लिये भी सूर्य कभी
अपने अंदर छुपा के लाएगा सवेरा;
सवेरा !
जो मेरे अंदर से
अंधियारे को भगा देगा ,,,,
वो सवेरा जो सिर्फ मेरे लिये होगा
एक नया सवेरा ,,मेरा सवेरा
जो आएगा तो सिर्फ
मेरे अधरों पे मुस्कान बिखेरने के लिए
जो होगी मेरी मुस्काती सुबह.......................