नव
मुझे सामने का समन्दर बहुत प्यारा लग रहा है
मैं जब इसमें खड़ी होती हूँ
बड़ा सुकून मिलता है |
और जो सुकून मुझे मिलता है
वो मैं तुम्हें भी देती हूँ ,,फिर क्यों ?
उस समन्दर की गहराई से डर जाती हूँ !!!!!!!
क्यों आगे ,और आगे नही जा पाती हूँ
पता है नव ,क्यों ?
क्योंकि उस पार आप नही हैं...
इसलिए नव
मुझे इसी किनारे पर
इतनी कसकर अपनी आगोश में ले लो
कि मैं समन्दर के सुकून को भूलकर
सिर्फ और सिर्फ तुम में ही खो जाऊँ.......................
aug........6..............
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