About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Sunday, September 23, 2012

भटकाव

ना जाने कितने सालों से ,एक ही रास्ते पे 
          चलती जा रही थी 
कई बार लोगों ने भटकाने की  कोशिश की
              पर मैं उसी रास्ते पर अडिगता से दम भर कर चलती रही 
कुछ नाराज़ भी हो गए,,तो कुछ खुश;
और मैं-------------------अपने में ही खोई रही 
कि  अचानक ,,एक हवा का झोंका 
     आया,, 
नही पता कहाँ चल दी,,
  उस हवा के झोंके की खुशबु के साथ,,
                     खोई -खोई चलती गई ,,
मुझे मालूम था कि बहक रही हूँ      
           मेरा खुदा मुझे गुमराह कर रहा था या 
जिन्दगी जो पतझर के समान हो गई थी 
                       उसमे फूल खिला रहा था 
नही जानती !!!!
          पर पांव थिरक रहे थे ,मचल रहे थे 
उस खुशबु के पीछे जाने को 
           और मैं चलते -२ रुक गई  
कहाँ जाऊँ,नही समझ पा रही 
वो खुशबु मुझे खींचती है अपनी और 
              उस खुशबु को नही छोड़ पा रही हूँ 
और ना ही कदमों को अपनी गली से बाहर 
                    जाने देना चाहती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,
कोई मुझे इस भव -सागर से बाहर निकालेगा 
            आ जाओ कोई तो -------------------------
कोई तो निकालो .......................  

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