ना जाने कितने सालों से ,एक ही रास्ते पे
चलती जा रही थी
कई बार लोगों ने भटकाने की कोशिश की
पर मैं उसी रास्ते पर अडिगता से दम भर कर चलती रही
कुछ नाराज़ भी हो गए,,तो कुछ खुश;
और मैं-------------------अपने में ही खोई रही
कि अचानक ,,एक हवा का झोंका
आया,,
नही पता कहाँ चल दी,,
उस हवा के झोंके की खुशबु के साथ,,
खोई -खोई चलती गई ,,
मुझे मालूम था कि बहक रही हूँ
मेरा खुदा मुझे गुमराह कर रहा था या
जिन्दगी जो पतझर के समान हो गई थी
उसमे फूल खिला रहा था
नही जानती !!!!
पर पांव थिरक रहे थे ,मचल रहे थे
उस खुशबु के पीछे जाने को
और मैं चलते -२ रुक गई
कहाँ जाऊँ,नही समझ पा रही
वो खुशबु मुझे खींचती है अपनी और
उस खुशबु को नही छोड़ पा रही हूँ
और ना ही कदमों को अपनी गली से बाहर
जाने देना चाहती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,
कोई मुझे इस भव -सागर से बाहर निकालेगा
आ जाओ कोई तो -------------------------
कोई तो निकालो .......................
चलती जा रही थी
कई बार लोगों ने भटकाने की कोशिश की
पर मैं उसी रास्ते पर अडिगता से दम भर कर चलती रही
कुछ नाराज़ भी हो गए,,तो कुछ खुश;
और मैं-------------------अपने में ही खोई रही
कि अचानक ,,एक हवा का झोंका
आया,,
नही पता कहाँ चल दी,,
उस हवा के झोंके की खुशबु के साथ,,
खोई -खोई चलती गई ,,
मुझे मालूम था कि बहक रही हूँ
मेरा खुदा मुझे गुमराह कर रहा था या
जिन्दगी जो पतझर के समान हो गई थी
उसमे फूल खिला रहा था
नही जानती !!!!
पर पांव थिरक रहे थे ,मचल रहे थे
उस खुशबु के पीछे जाने को
और मैं चलते -२ रुक गई
कहाँ जाऊँ,नही समझ पा रही
वो खुशबु मुझे खींचती है अपनी और
उस खुशबु को नही छोड़ पा रही हूँ
और ना ही कदमों को अपनी गली से बाहर
जाने देना चाहती हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,
कोई मुझे इस भव -सागर से बाहर निकालेगा
आ जाओ कोई तो -------------------------
कोई तो निकालो .......................
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