About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Sunday, September 30, 2012

डर

अपनी खुशियों को जाहिर करने से डर लगता है
                  क्योंकि हर इंसा  मुझे नज़र लगाता
सा लगता है,,
लग ना जाए इन खुशियों को ग्रहण
                  इसलिए
कभी -कभी तो खुद ही की
                 नज़र का डर लगता है,,,,,
    इतने दुःख सह चुकी हूँ
हर शख्श से धोखा  खा चुकी हूँ
             अब तो हाथ ऊपर उठाकर देखने में भी
भगवान धोखा ना दे दे 
           ये डर लगता है ...............
गमों में इतना घिर चुकी हूँ
                   आशा की किरण से भी डर लगता है
हे भगवान ,,
               जो मुस्कान इतने सालों में आई है
उसे तेरी मेरी
           नज़र ना लगने देना
कहीं तुझसे भी पूरा भरोसा ना उठ जाए
      इस अंजाम से भी डर लगता है.....................

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