जहाँ तुम मेरे विश्वास की
हत्या कर रहे थे
वहां मै तुम्हे सोचकर मुस्कुरा रही थी
मेरा विश्वास तुमने इतने हल्के से तोड़ा
कि कोई आहट तक ना हुई,,
मुझे एक हिचकी तक ना आई
पर एक बात बोलूं ,
विश्वास तोड़ने में जितने पल नही लगते
विश्वास जमाने में उससे कहीं ज्यादा
बरस लग जाते हैं …
मैं तुमसे आज भी उसी तरह बोलती हूँ
तुम्हे हल्का सा भी महसूस नही होने देती,
लेकिन
कहीं जो मेरे भीतर टुकड़े हुए हैं
वो चुभन मुझे हर बार महसूस होती है
जब जब तुम याद आते हो,,
क्या कभी जगा पाओगे वही विश्वास ……………………… जून 9.............13................
हत्या कर रहे थे
वहां मै तुम्हे सोचकर मुस्कुरा रही थी
मेरा विश्वास तुमने इतने हल्के से तोड़ा
कि कोई आहट तक ना हुई,,
मुझे एक हिचकी तक ना आई
पर एक बात बोलूं ,
विश्वास तोड़ने में जितने पल नही लगते
विश्वास जमाने में उससे कहीं ज्यादा
बरस लग जाते हैं …
मैं तुमसे आज भी उसी तरह बोलती हूँ
तुम्हे हल्का सा भी महसूस नही होने देती,
लेकिन
कहीं जो मेरे भीतर टुकड़े हुए हैं
वो चुभन मुझे हर बार महसूस होती है
जब जब तुम याद आते हो,,
क्या कभी जगा पाओगे वही विश्वास ……………………… जून 9.............13................
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