माँ ,तुम क्यों इतना याद आती हो
वो तुम्हारा बाहें फैलाकर अपनी गोद में मुझे समेट लेना
मुझे तुमसे दूर होने पर रुलाता है माँ,,
वो तुम्हारा भीगी पलकों से मुझे निहारना
मुझे रुलाता है माँ,,
मुझे क्यों बड़ा होने दिया,फिर मुझे अपनी छोटी सी परी बना लो माँ
ये जिन्दगी ये हकीकत मुझे बहुत रुलाती है माँ
मुझे मेरे हालात न जीने देते हैं
ना मरने देते हैं।
मुझे फिर से अपनी गोद में सिमटा लो माँ,
छुपा लो मुझे इस ज़ालिम दुनिया से ,,
अब और बर्दास्त नही होता
अपनी गुडिया को छुपा लो माँ।
फिर से अपनी नन्ही परी बनाकर
मेरी बची हुई खुशियाँ बचा लो
मुझे फिर से अपना बचपन दे दो माँ
मुझे ना अपने से अलग करो माँ
मुझे बड़ा ना होने दो ……………. 21/8/13............
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