About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Friday, March 31, 2017

आंसू

आज ओस कहीं नही थी,रात ठंड भी बहुत थी,
                     फिर भी ?
लेकिन मैं तो सुबह खाली पांव चला था घास पर ,,,
                                         और मैंने नमी भी महसूस की थी पांवो में
और वो टपकती पत्ती ?
                    वो मेरे आंसू थे ,जो मैं चुप चुप बहाती हूँ तुम्हारे लिए,
क्या उस पत्ती की ओस चख कर बता पाओगे,
                        I love the serene colors and how this photographer utilized a very short exposure time to create a still dancing water.            क्या वो सच में ओस ही है या--------मिष्टी .

Thursday, March 23, 2017

सुन,,
      तडप तो तुम भी रहे हो ,,
रह तो तुम भी नही पा रहे मेरे बिन,,
                              आँखे तो तुम्हारी भी नम हैं,,
तो क्यों नही आ जाते ,,
जानती हूँ ये ईगो नही ,पर कुछ तो है जो रोके है, तुम्हे भी..
                                  जानती हूँ,दिन से ज्यादा तुम्हे रात गुजारनी भारी पड़ती है,
क्योंकि
                              चुप चुप तुम जो मुझे पढ़ते हो,

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वो अल्फ़ाज़ तुम्हे चुभते हैं रात भर,,
                           मेरी आँखों के आंसू
तुम्हारे बदन को भिगोते  है
                          वैसे ही,जैसे तुम्हारी आँखों की  नमी
मुझे भिगो रही है..
                             क्या  तुम्हारी आँख  मेरे लिए नम नही,
 उतार दो ये दिखावे का मुखौटा
                      आ जाओ,सारे बंधन तोड़ के,
                                   आवाज़ दो मुझे एक बार.दो ना....मिष्टी 23-3-17

Friday, March 10, 2017

सबक

         मेरी भूल ,,
और मेरी जिन्दगी के  सारे  सबक
                उकेरती जा रही हूँ,,डायरी के पन्नो पर
ताकि जब मैं भी उड़ने लगूं ,,भूलने लगूं,
Related image
          बीते पल ,,ये पन्ने उड़ उड़ कर
मुझे याद दिलाते रहें
                  जिन्होंने आंसूओं में धुंधला दिया
आईने में मेरा ही चेहरा.  .............. 26\2\15.........मिष्टी 

चाँद

  

सुनो,,
आज तो पुरे चाँद की रात है ना,,
              फिर मैं अधूरी क्यों हूँ,,
मेरी रातें अधूरी क्यों हैं?
       तुम्हें याद है,
वो सर्दी की रात में ,वो ढक ओड़कर हम दोनों का
थोडा सा पर्दा हटाकर
       
Related image     खिड़की से चाँद को झांकना 
तुम्हारा कहना ,चाँद का सोंदर्य तुम्हारी नीली आँखों में
          सिमट आया है,,तुम्हारे साथ बिताये पल ,,सिमट गए हैं कहीं मुझ में
तुम्हारी यादें,कहीं मेरे दिल को,सितार के तारों की तरह झनझना रही हैं,
आज तो चाँद भी मुझे देखकर
       आ गया है मेरे कमरे में चांदनी के साथ
मुझे सहलाने को.
तुम्हारी हरएक कोमल याद ,
                 मेरे दिल को टीस रही है,
कब तक हम ऐसे ही जियेंगे.................मिष्टी ..
   

Wednesday, March 8, 2017

दूरी


ये  कैसा जीवन है मेरा,,
        जैसे मैं ,,मैं नही
                     हवन सामग्री  जैसी कोई चीज  हूँ ,,
जिसे हर कोई अपनी सुविधानुसार
                                         यज्ञ में आहुति दे सकता है,,
            सिर्फ अपनी भलाई के लिए........
 स्वाहा कर देगा ,,Image result for hawan images
और  जलती रहूंगी,अपने भस्म ना हो जाने तक,,
                          या सामने वाला मुझे  तब तक होम करता रहेगा
जब तक उसकी मनोकामना पूर्ण ना.हो  ....... मिष्टी

ये तेरे दीदार की प्यास थी ,    
                    कि मैंने हर उस राह जाते
                                             हर मुसाफिर की सेवा की,
जब वो राहत  गुजरकर मुझे दुआ देते,तो
                     मुझे तेरे मिलन की आस नज़र  थी...
वो दुआ के लिए हाथ उठाते थे,
                    मुझे आसमाँ  से   तेरे दीदार घूंट मिलता था......... मिष्टी
5 \11 \16 

Tuesday, March 7, 2017

ओस की बूँद

तेरी आवाज़ की बारिश में
                            भीगा मेरा नाम 
तुझे सूखे हुए पत्ते की तरह
                         इधर से उधर
उड़ता गिरता ढूंढता फिर रहा है
                      एक बार फिर उस पत्ते को हरा कर दो 
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उसे नाम से बुला कर
                   ओस की बूँद में भिगो दो 
सरावोर कर दो 
फिर अपने लव्जो की बारिश से
                मुझे  पुकारो
बोलो ना
         मेरा नाम,, एक बार 
----------मिष्टी 28\2\17

Sunday, March 5, 2017

खामोश लम्हे

खामोश हो तुम ,,कुछ लम्हे ख़ामोश   होते हैं,
                                               जो अक्सर तन्हाई में चीत्कार करते हैं ,
तुम्हारा अहसास हरदम मुझमे एक खुशबू बिखेरे हुए है,जो  तुम्हे भूलने नही देता.
                                            अनजानी डोर से.वही अनजाने अजनबी लम्हे मुझे तुम्हारी और खींचते रहते हैं,

तुम्हारी ख़ामोशी तोडती है मुझे,हर पल। तुम्हारी ख़ामोशी में शिकायत दिख रही है मुझे 
                     दिल में दर्द सा है,अगर ख़ामोशी सुना  देते ,तो इस तरह तडपती नही,,
तुम कहते थे कि मेरे दुःख से टूट जाते हो तुम ,,
               अब तुम्हारी ख़ामोशी ने तोड़ दिया है मुझे,क्या मेरा बिखराव सहन कर पा रहे हो ?
        एक बार बता ही जाते,तो कम से कम ये अँखियाँ जो झर  झर बरसती नदी  बनती जा रही हैं ,,
        
          Image result for image sad love alone free download       शायद कोई समुद्र का किनारा तलाश कर लेती,,
                        अहसास तुम्हारा मुझे मरने  नही देता,,
पर आज भी तुम्हारी ख़ामोशी से बिखर रही हूँ मैं,
                                                                  मिष्टी

                                                                            5 /3 /17 खामोश लम्हे 
 मैं कौन हूँ /
                मैं भर बहते सागर से
इक लहर  की तरह उठी हूँ ,,
                  अपने सागर को सज़दा करने
जब भी तुम्हे याद करती हूँ,,
         इक आसमानी रंग में ढली
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गुलाबी रौशनी में भीग जाती हूँ,
             तुममे खो जाती हूँ
                                       मिष्टी..........26/2/17

कतरा

ज़िन्दगी एक चिलचिलाती धूप की तरह थी,,
और मैं
    शाम की सुहावनी छांव में
एक कतरा  गुजारने  को तरसती  रही ,,,,मिष्टी ,,feb  17 

एक आस,

 भोगों को हमने नही  भोगा
                  भोगों ने  मुझको भोगा।
मैंने जिंदगी  में तप नही किया
               जिंदगी ने ही मुझको तपा ,दिया,
जिंदगी नही,काल नही,समय नही बीता
        बीती तो मैं ,, स्वयं ही बीतती 
गई
                      आशा ,,   ,
तृष्णा ,ख्वाहिश ,उम्मीद आशा
              कुछ नही मरा
मरी तो मैं
                  सूर्य नही ढला ,,
         ढलती गई मैंImage may contain: 1 person
 शायद एक दिन मैं भी जियूँगी अपनी जिंदगी,,
                                                ज़िन्दगी ढोऊंगी  नही,,
एक आस,,एक उम्मीद एक ख्वाहिश लिए।  मिष्टी>>>>>>>>>-2 2--17 . 


क़लम

सच ही है 
     तुम्हारा सबसे बड़ा राज़दार
                ये कागज़ कलम ही  होते हैँImage result for my pen and paper
 ये सबसे ज्यादा अपने होते हैं 
         जो जिंदगी भर तुम्हारा साथ नहीँ छोडते 
सच है ना पापा 
      आप भी तो मेर साथ छोड़ गए  ना पापा ………… 

मेरी बेटी

मेरी ख्वाहिशों को
दुबारा उपजाकर पालती  मेरी बेटी ,,
            मेरे सोये अरमानो को जगाकर
फिर से उन्हें सजाकर
                           मिटटी में दबे मेरे सपनो को
सींचती मेरी बेटी,,
                      अपने रूप में फिर से मेरा बचपन
वापिस लाती,मेरे कपड़ों में
             वही बचपन को दुलारती मेरी बेटी
नमी ,,अब बड़ी हो गई है..अपने प्यार की नमी से मुझे भिगोती मेरी बेटी...नमी,,,,,,,,,,,,,,,मिष्टी  ...... 

Friday, March 3, 2017

अंजाना साथी

तुझे भूलूं भी तो कैसे भूलूं,,
                तेरे लफ्जों में भीग चुकी हूँ मै
तेरे सामने ना होते हुए भी
                               तुझे रोज देखती हूँ मैं,,
             तुझसे कभी न मिले हुए भी,,
 रोज तेरी छुअन महसूस करती हूँ मैं.Image result for sad images
                        तुझसे कोसो की दूरी होते हुए भी
तेरी धडकन भी सुन सकती हूँ मैं. .. मिष्टी........ feb 17 

जामुनी केक्ट्स

सुनो,,
      हाँ आया था इक बादल,,कहीं दूर बहुत दूर से,,
बरसाया उसने मुझ रेगिस्तान सी पड़ी भूमि पर
बहुत ठंडा सा नमी देता पानी,,
हाँ मैं भीगने भी लगी थी,
मुझमे भी माटी की सुगंध आने लगी थी,,
लेकिन तभी हवा के झोंके सा जैसा वो आया था,
वैसे ही बिन बताये चला गया वो,,
जता गया की रेगिस्तान में बरसात नही
लेकिन उसकी थोड़ी सी महक रह गई मुझमे,
ना चाहते हुए भी
 कोई जामुनी केक्ट्स उग आयाImage result for images cactus flowers
जिन्दगी भर कांटे चुभोने या मेरी गलती जताने को
उफ्फ्फ ये क्या किया. मैंने>>>>>>>>>>>>>मिष्टी