तुझे भूलूं भी तो कैसे भूलूं,,
तेरे लफ्जों में भीग चुकी हूँ मै
तेरे सामने ना होते हुए भी
तुझे रोज देखती हूँ मैं,,
तुझसे कभी न मिले हुए भी,,
रोज तेरी छुअन महसूस करती हूँ मैं.
तुझसे कोसो की दूरी होते हुए भी
तेरी धडकन भी सुन सकती हूँ मैं. .. मिष्टी........ feb 17
तेरे लफ्जों में भीग चुकी हूँ मै
तेरे सामने ना होते हुए भी
तुझे रोज देखती हूँ मैं,,
तुझसे कभी न मिले हुए भी,,
रोज तेरी छुअन महसूस करती हूँ मैं.
तुझसे कोसो की दूरी होते हुए भी
तेरी धडकन भी सुन सकती हूँ मैं. .. मिष्टी........ feb 17
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