About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Friday, March 10, 2017

चाँद

  

सुनो,,
आज तो पुरे चाँद की रात है ना,,
              फिर मैं अधूरी क्यों हूँ,,
मेरी रातें अधूरी क्यों हैं?
       तुम्हें याद है,
वो सर्दी की रात में ,वो ढक ओड़कर हम दोनों का
थोडा सा पर्दा हटाकर
       
Related image     खिड़की से चाँद को झांकना 
तुम्हारा कहना ,चाँद का सोंदर्य तुम्हारी नीली आँखों में
          सिमट आया है,,तुम्हारे साथ बिताये पल ,,सिमट गए हैं कहीं मुझ में
तुम्हारी यादें,कहीं मेरे दिल को,सितार के तारों की तरह झनझना रही हैं,
आज तो चाँद भी मुझे देखकर
       आ गया है मेरे कमरे में चांदनी के साथ
मुझे सहलाने को.
तुम्हारी हरएक कोमल याद ,
                 मेरे दिल को टीस रही है,
कब तक हम ऐसे ही जियेंगे.................मिष्टी ..
   

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