सुन,,
तडप तो तुम भी रहे हो ,,
रह तो तुम भी नही पा रहे मेरे बिन,,
आँखे तो तुम्हारी भी नम हैं,,
तो क्यों नही आ जाते ,,
जानती हूँ ये ईगो नही ,पर कुछ तो है जो रोके है, तुम्हे भी..
जानती हूँ,दिन से ज्यादा तुम्हे रात गुजारनी भारी पड़ती है,
क्योंकि
चुप चुप तुम जो मुझे पढ़ते हो,
वो अल्फ़ाज़ तुम्हे चुभते हैं रात भर,,
मेरी आँखों के आंसू
तुम्हारे बदन को भिगोते है
वैसे ही,जैसे तुम्हारी आँखों की नमी
मुझे भिगो रही है..
क्या तुम्हारी आँख मेरे लिए नम नही,
उतार दो ये दिखावे का मुखौटा
आ जाओ,सारे बंधन तोड़ के,
आवाज़ दो मुझे एक बार.दो ना....मिष्टी 23-3-17
तडप तो तुम भी रहे हो ,,
रह तो तुम भी नही पा रहे मेरे बिन,,
आँखे तो तुम्हारी भी नम हैं,,
तो क्यों नही आ जाते ,,
जानती हूँ ये ईगो नही ,पर कुछ तो है जो रोके है, तुम्हे भी..
जानती हूँ,दिन से ज्यादा तुम्हे रात गुजारनी भारी पड़ती है,
क्योंकि
चुप चुप तुम जो मुझे पढ़ते हो,
वो अल्फ़ाज़ तुम्हे चुभते हैं रात भर,,
मेरी आँखों के आंसू
तुम्हारे बदन को भिगोते है
वैसे ही,जैसे तुम्हारी आँखों की नमी
मुझे भिगो रही है..
क्या तुम्हारी आँख मेरे लिए नम नही,
उतार दो ये दिखावे का मुखौटा
आ जाओ,सारे बंधन तोड़ के,
आवाज़ दो मुझे एक बार.दो ना....मिष्टी 23-3-17
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