खामोश हो तुम ,,कुछ लम्हे ख़ामोश होते हैं,
जो अक्सर तन्हाई में चीत्कार करते हैं ,
तुम्हारा अहसास हरदम मुझमे एक खुशबू बिखेरे हुए है,जो तुम्हे भूलने नही देता.
अनजानी डोर से.वही अनजाने अजनबी लम्हे मुझे तुम्हारी और खींचते रहते हैं,
तुम्हारी ख़ामोशी तोडती है मुझे,हर पल। तुम्हारी ख़ामोशी में शिकायत दिख रही है मुझे
दिल में दर्द सा है,अगर ख़ामोशी सुना देते ,तो इस तरह तडपती नही,,
तुम कहते थे कि मेरे दुःख से टूट जाते हो तुम ,,
अब तुम्हारी ख़ामोशी ने तोड़ दिया है मुझे,क्या मेरा बिखराव सहन कर पा रहे हो ?
एक बार बता ही जाते,तो कम से कम ये अँखियाँ जो झर झर बरसती नदी बनती जा रही हैं ,,
शायद कोई समुद्र का किनारा तलाश कर लेती,,
अहसास तुम्हारा मुझे मरने नही देता,,
पर आज भी तुम्हारी ख़ामोशी से बिखर रही हूँ मैं,
मिष्टी
5 /3 /17 खामोश लम्हे
जो अक्सर तन्हाई में चीत्कार करते हैं ,
तुम्हारा अहसास हरदम मुझमे एक खुशबू बिखेरे हुए है,जो तुम्हे भूलने नही देता.
अनजानी डोर से.वही अनजाने अजनबी लम्हे मुझे तुम्हारी और खींचते रहते हैं,
तुम्हारी ख़ामोशी तोडती है मुझे,हर पल। तुम्हारी ख़ामोशी में शिकायत दिख रही है मुझे
तुम कहते थे कि मेरे दुःख से टूट जाते हो तुम ,,
अब तुम्हारी ख़ामोशी ने तोड़ दिया है मुझे,क्या मेरा बिखराव सहन कर पा रहे हो ?
एक बार बता ही जाते,तो कम से कम ये अँखियाँ जो झर झर बरसती नदी बनती जा रही हैं ,,
शायद कोई समुद्र का किनारा तलाश कर लेती,,
अहसास तुम्हारा मुझे मरने नही देता,,
पर आज भी तुम्हारी ख़ामोशी से बिखर रही हूँ मैं,
मिष्टी
5 /3 /17 खामोश लम्हे
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