मेरी ख्वाहिशों को
दुबारा उपजाकर पालती मेरी बेटी ,,
मेरे सोये अरमानो को जगाकर
फिर से उन्हें सजाकर
मिटटी में दबे मेरे सपनो को
सींचती मेरी बेटी,,
अपने रूप में फिर से मेरा बचपन
वापिस लाती,मेरे कपड़ों में
वही बचपन को दुलारती मेरी बेटी
नमी ,,अब बड़ी हो गई है..अपने प्यार की नमी से मुझे भिगोती मेरी बेटी...नमी,,,,,,,,,,,,,,,मिष्टी ......
दुबारा उपजाकर पालती मेरी बेटी ,,
मेरे सोये अरमानो को जगाकर
फिर से उन्हें सजाकर
मिटटी में दबे मेरे सपनो को
सींचती मेरी बेटी,,
अपने रूप में फिर से मेरा बचपन
वापिस लाती,मेरे कपड़ों में
वही बचपन को दुलारती मेरी बेटी
नमी ,,अब बड़ी हो गई है..अपने प्यार की नमी से मुझे भिगोती मेरी बेटी...नमी,,,,,,,,,,,,,,,मिष्टी ......
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