ये कैसा खुमार चडा है मुझको
की हर जगह तू ही नज़र आता है
दरो-दीवार की तो कहें क्या
अपनी सूरत में भी
नज़र आता है तू मुझको
ये आईना है की तू सामने खड़ा है,
ये भी समझ नहीं आता मुझको
घर बाहर,गली-चोराहे पर
बस तू ही नज़र आता मुझको
तू ही नज़र आता मुझको........
21/12/10
की हर जगह तू ही नज़र आता है
दरो-दीवार की तो कहें क्या
अपनी सूरत में भी
नज़र आता है तू मुझको
ये आईना है की तू सामने खड़ा है,
ये भी समझ नहीं आता मुझको
घर बाहर,गली-चोराहे पर
बस तू ही नज़र आता मुझको
तू ही नज़र आता मुझको........
21/12/10
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