About Me

New Delhi, DELHI, India
अपने बारे में क्या कहूँ, एक अनसुलझी पहेली सी हूँ.कभी भीड़ में अकेलापन महसूस करती हूँ! तो कभी तन्हाइयों में भरी महफिल महसूस करती हूँ! कभी रोते रोते हँसती हूँ, तो कभी हंसते हंसते रो पडती हूँ. मैं खुश होती हूँ तो लगता है,सारी दुनिया खुश है,और जब दुखी होती हूँ तो सारी कायनात रोती दिखती है! क्या हूँ मैं, नहीं जानती,बस ऐसी ही हूँ मैं, एक भूलभुलैया.......

Wednesday, August 31, 2011

देवी

किसी पंडित के कहने पर
        वो रोज फूल तोडकर लाता है
पर, 
    उन फूलों को मंदिर में चड़ाने की जगह 
वो मुझ पर बरसा जाता है,
      सुबह शाम मंदिर जाने को कहा है
इसलिए भोर होते ही और
       शाम ढलते ही 
वो मेरी गली आ जाता है,
      मै  कैसे प्यार करूं जोगी
तू तो मुझे ,
      देवी बनाये जाता है..
 देवी बनाये जाता है..

२८.३.२००१

No comments:

Post a Comment