वो मेरी राह में फूल बिछाता रहा
और मैं किसी और की बाँहों में झूलती रही
वो मुझसे बिछड़ कर तनहाइयों से डरने लगा
मैं किसी से मिलकर तन्हाइयों का इंतज़ार करने लगी
उसे अकेलापन डराता रहा,काटता रहा,
और मैं,मुझे मेरा अकेलापन गुदगुदाता रहा
वो चाँद की तरह मेरे साथ चलता रहा
और मैं किसी के कांधेपर सर रख चलती रही,
वो मेरे इंतज़ार में ,अपनी जिंदगी ही छोड़ गया,
और मैं किसी को अपनी ज़िंदगी समझ
जीती रही जीती रही
यादें ,यादें रह जाती हैं
जब वो इतनी दूर चले जाते हैं
जहाँ से किसी का लौटना मुमकिन नहीं
तब कहीं जाकर हमें
उसकी यादें झाग्झोरती हैं
पर यादें,जो बहुत रुलाती हैं ......,....
22/7/10
22/7/10
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