मैं एक लड़की हूँ
अभी बिटिया ही मेरी पहचान है
मैंने राजसी घराने में जनम लिया है
मुझे राजघराने की तरह रहना है
मुझे मिटटी के खिलोने से नहीं खेलना चाहिए
मुझे बाहर गलियों में सखियों के साए
आँख - मिचोली , खो खो नहीं खेलना चाहिए
मुझे अपने कमरे में गुड्डे गुडिया से खेलना है
मुझे दसियों से ज्यादा बात नहीं करनी है !
अब मैं युवा हूँ,
शादी शुदा हूँ
मुझे मेरे पति की सारी अच्छाइयों और
बुराइयों के साथ अपनाना है
बिना कोई प्रश्न किए अभी मुझे सबकी बातें सुन्नी हैं
क्योंकि में दूसरे घर (ससुराल) में हूँ
अब मेरी पहचान मेरे बच्चों की माँ के रूप में हैं
अभी मुझे सिर्फ माँ का फ़र्ज़ निभाना है
अब मैं अधेड हूँ ,
मेरे बच्चों की शादी हो चुकी हैं
इसलिए मुझे नाती पोते खिलाने हैं
मेरा बूढ़ा पति मेरे साथ है
मुझे उसकी सेवा में भी लीन रहना है
और अब
अब मैं एक लाश हूँ
जिसके जाने से किसी को ---------
पर मेरा खाली एक सवाल है
इतने रूपों में मेरा वजूद कहाँ है
बिटिया , बीवी , बहु , बेहेन , दादी , नानी
मैं सब कुछ हूँ लेकिन
मैं,मैं कहाँ हूँ , ये सब तो रिश्ते हैं
इन रिश्तों में मैं कहाँ हूँ
मैं कौन हूँ
१/८/११
मैंने राजसी घराने में जनम लिया है
मुझे राजघराने की तरह रहना है
मुझे मिटटी के खिलोने से नहीं खेलना चाहिए
मुझे बाहर गलियों में सखियों के साए
आँख - मिचोली , खो खो नहीं खेलना चाहिए
मुझे अपने कमरे में गुड्डे गुडिया से खेलना है
मुझे दसियों से ज्यादा बात नहीं करनी है !
अब मैं युवा हूँ,
शादी शुदा हूँ
मुझे मेरे पति की सारी अच्छाइयों और
बुराइयों के साथ अपनाना है
बिना कोई प्रश्न किए अभी मुझे सबकी बातें सुन्नी हैं
क्योंकि में दूसरे घर (ससुराल) में हूँ
अब मेरी पहचान मेरे बच्चों की माँ के रूप में हैं
अभी मुझे सिर्फ माँ का फ़र्ज़ निभाना है
अब मैं अधेड हूँ ,
मेरे बच्चों की शादी हो चुकी हैं
इसलिए मुझे नाती पोते खिलाने हैं
मेरा बूढ़ा पति मेरे साथ है
मुझे उसकी सेवा में भी लीन रहना है
और अब
अब मैं एक लाश हूँ
जिसके जाने से किसी को ---------
पर मेरा खाली एक सवाल है
इतने रूपों में मेरा वजूद कहाँ है
बिटिया , बीवी , बहु , बेहेन , दादी , नानी
मैं सब कुछ हूँ लेकिन
मैं,मैं कहाँ हूँ , ये सब तो रिश्ते हैं
इन रिश्तों में मैं कहाँ हूँ
मैं कौन हूँ
१/८/११
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